जी-7 शिखर सम्मेलन के दौरान चीन के दक्षिणी चीन सागर सहित कई इलाकों में विस्तारवादी नीति के खिलाफ समूह की कार्रवाइयों और बयानों से चीन को बहुत मिर्ची लगी है और वो बौखला गया है. इसके बाद चीन (china) के उप विदेश मंत्री सन वेइदॉन्ग (Sun Weidong) ने पिछले हफ्ते के अंत में ग्रुप ऑफ सेवन (G7) शिखर सम्मेलन में ‘चीन से जुड़े मुद्दों के बारे में प्रचार’ पर विरोध दर्ज कराने के लिए जापानी राजदूत को तलब किया. रविवार देर रात चीन के विदेश मंत्रालय के एक बयान में इसकी जानकारी दी गई. सन ने कहा कि जापान ने G7 शिखर सम्मेलन में अन्य देशों के साथ ‘गतिविधियों और संयुक्त घोषणाओं में सहयोग किया.’
चीन के उप विदेश मंत्री सन वेइदॉन्ग ने कहा कि ‘चीन को बदनाम करने और हमला करने के लिए जापान ने चीन के आंतरिक मामलों में व्यापक रूप से हस्तक्षेप किया, अंतरराष्ट्रीय कानून के बुनियादी सिद्धांतों का उल्लंघन किया.’ 1972 के चीन-जापान संयुक्त वक्तव्य का जिक्र करते हुए सन ने कहा कि ‘जापान ने चीन और जापान बीच के चार राजनीतिक दस्तावेजों की भावना का उल्लंघन किया.’ उन्होंने कहा कि ‘जापान की कार्रवाइयां चीन की संप्रभुता, सुरक्षा और विकास हितों के लिए हानिकारक थीं. चीन इससे बहुत असंतुष्ट है और कड़ाई से इन बातों का विरोध करता है.’
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