विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि हमें बांग्लादेश में धार्मिक कार्यक्रमों पर हमलों की जानकारियां मिली हैं। हमने देखा है कि बांग्लादेश सरकार ने इसे लेकर सख्त कार्रवाई की है। दुर्गा पूजा कार्यक्रम भी वहां जारी हैं। बागची ने कहा कि हमारा उच्चायोग अधिकारियों के साथ संपर्क में है।
वहीं, भूटान और चीन की ओर से भूटान-चीन सीमा वार्ता में तेजी लाने के लिए तीन चरण वाले रोडमैप को लेकर एक एमओयू पर हस्ताक्षर किए जाने पर बागची ने कहा कि हमें इस बारे में जानकारी मिली है। अरिंदम बागची ने इसे लेकर कहा कि हमें यह मालूम है कि भूटान और चीन सीमा वार्ता कर रहे हैं।
चीन-भूटान के समझौते से भारत पर क्या असर?
दरअसल, भूटान के विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को बयान जारी कर बताया कि उनके विदेश मंत्री लिओन्पो टांडी दोरजी ने चीन के सहायक विदेश मंत्री वू जियांगहाओ के साथ सीमा से जुड़े विवादों को हल करने के लिए काम करने पर राजी हुए हैं। इसके लिए दोनों देशों ने तीन स्तरों वाली वार्ता प्रक्रिया पर दस्तखत किए हैं। हस्ताक्षर ज्वाइंट वर्चुअल सेरेमनी में किए गए। मामला इसलिए अहम है क्योंकि चीन भूटान के कई सीमा क्षेत्रों के अपना होने का दावा करता है। इनमें एक महत्वपूर्ण वन्य जीव क्षेत्र भी है जिसे दशकों से अंतरराष्ट्रीय सहायता मिल रही है।
नेपाल, बांग्लादेश, म्यांमार और ईरान को टीके भेजे
कोरोना टीकों की आपूर्ति को दोबारा शुरू करने को लेकर मंत्रालय ने कहा कि भारत ने नेपाल, बांग्लादेश, म्यांमार और ईरान को टीके भेजे हैं। बागची ने कहा कि हमें 20 अक्तूबर को अफगानिस्तान पर होने वाली मॉस्को फॉरमेट मीटिंग के लिए निमंत्रण मिला है। हम इसमें हिस्सा लेंगे। संभावना है कि हम इस बैठक में संयुक्त सचिव के स्तर पर शामिल होंगे।
विदेश मंत्रालय ने बताया कि वैक्सीन मैत्री कार्यक्रम के तहत नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार और ईरान सरकार को टीका मुहैया कराया गया है। इन देशों को टीका मुहैया करा दिया गया है। अब हम स्थिति पर नजर बनाने के साथ उसकी समीक्षा कर रहे हैं। बागची ने बताया कि आगे टीके के निर्यात पर फैसला टीके के उत्पादन और मांग पर निर्भर करेगा। सरकारी सूत्रों की मानें तो भारत सरकार ने अब तक इन देशों को टीके की कुल दस करोड़ डोज मुहैया कराई गई है। भारत सरकार ने पांच महीने के बाद टीके का निर्यात किया है। इसकी घोषणा पिछले महीने स्वास्थ्यमंत्री ने की थी।
एलएसी मामले पर चीन को हिदायत
विदेश मंत्रालय ने कहा कि चीन को पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर 17 महीने से जारी संघर्ष को खत्म करने और शेष बचे मुद्दों का हल शीर्घ निकाले में सहयोग करना चाहिए। 13वें दौर की सैन्य वार्ता में भारत ने जो सुझाव दिये हैं उनका पालन कर इस विवाद का समाधान हो सकता है और सीमा पर शांति बहाल हो सकती है। चीन से उम्मीद है कि वह इसमें सहयोग करे और बैठक में बनी सहमति के आधार पर तेजी से काम करे।