पूर्वांचल के वाराणसी-बलिया समेत 6 जिलों में गंगा का जलस्तर बढ़ाव पर, 406 गांव बाढ़ से प्रभावित, तटीय इलाकों से पलायन अब भी जारी

वाराणसी में बाढ़ से स्थिति लगातार बिगड़ रही है। गंगा और वरुणा पलट प्रवाह के कारण खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। शहर के निचले और ग्रामीण इलाकों में बाढ़ से हाहाकार मचा है। खतरे के निशान से ऊपर बह रही गंगा का जलस्तर अपने उच्चतम स्तर की तरफ बढ़ रहा है। केंद्रीय जल आयोग के अनुसार बुधवार सुबह सात बजे तक वाराणसी में गंगा का जलस्तर 72.01 मीटर पर था। इसमें एक सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ोत्तरी हो रही है। काशी में गंगा की धारा तबाही मचाने की राह निकल पड़ी है।

केंद्रीय जल आयोग के अनुसार, बुधवार सुबह 8 बजे 72.02 मीटर दर्ज किया गया, जो खतरे के निशान (71.26 मीटर) से 76 सेंटीमीटर ऊपर था। इसके बाद गंगा के जलस्तर में एक सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ाव जारी था। दोपहर 12 बजे गंगा का जलस्तर 72.06, तीन बजे 72.09 और शाम को छह बजे गंगा का जलस्तर 72.12 मीटर तक पहुंच गया।

मिर्जापुर जिले में सुबह से रुक-रुककर हो रही बारिश के चलते बुधवार को बाढ़ क्षेत्रों की मुश्किलें और बढ़ गईं। मंगलवार को गंगा का जलस्तर जहां खतरा निशान 77.724 मीटर से ऊपर 78.250 मीटर पहुंच गया। रहा। गंगा एक सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रही है। जिले में बाढ़ की स्थिति और विकराल हो गई है। विंध्याचल-मिर्जापुर मार्ग, कंतित गोसांईपुरवा, मिर्जापुर-कछवां मार्ग सहित कई सड़कों पर पानी आने से कई इलाकों का संपर्क टूट गया है। सदर तहसली के 220, चुनार तहसील के 184 गांव बाढ़ प्रभावित हैं।

मऊ जिले में घाघरा के जलस्तर में घटाव के बाद भी लोगों को नदी के कहर बरपाने की चिंता सताने लगी है। घाघरा नदी के जलस्तर में बुधवार को 10 सेमी का घटाव दर्ज किया गया। नदी का बीते मंगलवार को 69.60 मीटर पर था। बुधवार को 10 सेमी घटकर 69.50 मीटर पर पहुंच गया। नदी खतरा बिंदु  69.90 मीटर से 40 सेमी नीचे बह रही है। नदी के कहर बरपाने से श्मशान घाट से लेकर खाकी बाबा कुटी, डीह बाबा मंदिर तक कटान का खतरा बढ़ता जा रहा है। नदी के रौद्र रुप धारण करने से नगर की ऐतिहासिक धरोहरें मुक्तिधाम, भारत माता मंदिर, खाकी बाबा की कुटी, दुर्गा मंदिर, लोक निर्माण का डाक बंगला, हनुमान मंदिर, डीह बाबा का स्थान, शाही मस्जिद अभी भी खतरे की जद में हैं। 

सोनभद्र जिले में महज 24 घंटे के भीतर रिहंद बांध के जलस्तर में ढाई फीट से अधिक की वृद्धि दर्ज हुई है। इसी तरह ओबरा बांध के अधिकतम जलस्तर 193.24 मीटर के मुकाबले 192.80 मीटर बना हुआ है। नगवा बांध का जलस्तर अधिकतम जल संग्रहण क्षमता 354.60 मीटर के मुकाबले 354.01 मीटर पहुंच गया है। बांध में लगातार पानी आने का क्रम जारी है। धंधरौल बांध का अधिकतम जलस्तर 317.90 मीटर निर्धारित है। बुधवार की सुबह इस बांध का जलस्तर 316.44 मीटर रिकॉर्ड किया गया। जलस्तर में तेजी से बढ़ोतरी को देखते हुए जहां इससे निकली नहरों में पूरी क्षमता से पानी छोड़ा जा रहा है।

आजमगढ़ में घाघरा नदी ने बढ़ाई परेशानी
स्थान     मंगलवार      बुधवार   खतरा बिंदू
डिघिया   70.58         70.47       70.40
बदरहुंआ 71.21         71.12       71.68 

केंद्रीय जल आयोग के मीटर गेज कार्यालय के अनुसार गंगा का जलस्तर एक सेंटीमीटर प्रति घंटे से बढ़ते हुए 80.820 मीटर तक पहुंच गया है। अगर जलस्तर बढ़ता रहा तो 2013 में 81.200 मीटर का रिकार्ड भी टूट सकता है। डीघ ब्लॉक के बेरासपुर, केदारपुर और बदरी गांव में कुछ लोगों के झोंपड़ी और घरों में पानी पहुंच गया है। बदरी गांव में राजकमल हरिजन, सोहित राम समेत कई लोगों के घर में पानी घुस गया। जिससे उन्हें अपने परिवार सहित अन्यत्र रहना पड रहा है। उनके घर में रखा सारा सामान पानी से भीगकर खराब हो गया। बेरासपुर में निषाद बस्ती और धइकार बस्ती के घरों के पास गंगा का पानी पहुंच गया है। जिससे पशुओं को बांधने और रहने में लोगों को काफी मुश्किल हो रही है।

बलिया जिले में गंगा का बढ़ाव जारी है और अब तक करीब 20 गांव पूरी तरह बाढ़ के पानी से घिर चुके हैं। गोपालपुर गांव में मंगलवार की रात तीन व बुधवार की सुबह एक मकान कटान की भेंट चढ़ गया। बाढ़ के पानी में डूबने से एक अधेड़ की मौत हो गई। गंगा व सरयू के साथ ही टोंस नदी का भी कहर शुरू हो गया है। गांव घिरते जा रहे हैं। लेकिन प्रशासन की ओर से अभी तक पर्याप्त नाव आदि की व्यवस्था नहीं कि जा सकी है। इसके चलते ग्रामीणों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। कई गांवों का संपर्क मुख्य मार्ग से कट चुका है। उधर, गांवों के पास बाढ़ का पानी भरने के कारण विद्युत विभाग ने सुरक्षा की दृष्टि से बैरिया तहसील क्षेत्र के 35 व सदर तहसील के 10 गांवों की बिजली आपूर्ति बंद कर दी है। विद्युत विभाग के अधिशासी अभियंता चंद्रकेश उपाध्याय ने बताया कि सभी उपकेंद्र प्रभारियों को निर्देश दिया गया है कि जहां भी बाढ़ की स्थिति बने उन गांवों के तारों को खोल दें ताकि कोई बड़ा हादसा न हो सके।

Mohd Badar

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