फिच रेटिंग्स ने भी भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर खतरे की घंटी बताई है। फिच रेटिंग्स ने चालू वित्त वर्ष 2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 10.5 फीसदी की भारी गिरावट का अनुमान जताया है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 23.9 फीसदी की गिरावट आई है। यह दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में गिरावट के सबसे ऊंचे आंकड़ों में से है।
फिच ने अपने अनुमान के आंकड़ों को संसोधित करते हुए इसे 10.5 प्रतिशत कर दिया है। फिच ने इससे पहले भारत की अर्थव्यवस्था में 5 फीसदी गिरावट का अनुमान जताया था, जिसे अब बढ़ाकर 10.5 फीसदी कर दिया है। फिच से पहले केयर रेटिंग्स ने भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर अनुमान जताया था कि चालू वित्तवर्ष में भारत की इकोनॉमी में 6.4 फीसदी की गिरावट आ सकती है।
वहीं मूडीज( Moody) ने 5 फीसदी गिरावट का अनुमान जताया था। वहीं रेटिंग एजेंसी केयर ने 2020-21 में भारत के जीडीपी में 1.5-1.6 फीसदी गिरावट का अनुमान जताया था। फिच ने भी जून में जारी आंकड़ों में भारती की अर्थव्यवस्था में 5 फीसदी गिरावट का अनुमान जताया था, जिसे अब 5 फीसदी और बढ़ा दिया है।
कोरोना वायरस महामारी की वजह से देश में सख्त लॉकडाउन लगाया गया था। इसे अर्थव्यवस्था में गिरावट की एक बड़ी वजह माना जा रहा है। हालांकि फिच रेटिंग्स का कहना है कि चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही यानी अक्टूबर-दिसंबर की तिमाही में जीडीपी में सुधार देखने को मिलेगा। हालांकि, इस बात के स्पष्ट संकेत हैं कि अर्थव्यवस्था में सुधार की रफ्तार सुस्त और असमान रहेगी।