किसान और सरकार के बीच सातवें दौर की बैठक, कृषि कानूनों को रद्द करने की किसानों की मांग खारिज, कमेटी बनाने का दिया प्रस्ताव

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दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसानों का आंदोलन आज 35वें दिन में प्रवेश कर चुका है। शीतलहर और घटता तापमान भी उनका हौसला नहीं तोड़ सका है। आज सबकी निगाहें किसान नेताओं और सरकार के बीच होने वाली सातवीं दौर की बैठक पर टिकी हैं। बैठक की सफलता और असफलता पर ही इस आंदोलन का भविष्य टिका है। वहीं दूसरी तरफ दिल्ली की जिन सीमाओं पर किसान प्रदर्शन कर रहे हैं वहां उनके समर्थकों का जमावड़ा बढ़ता ही जा रहा है। अब इस आंदोलन की लहर बिहार भी पहुंच चुकी है जहां से किसी तरह के प्रदर्शन की बात अब तक सामने नहीं आ रही थी।

किसान नेताओं और सरकार की कई घंटों की बैठक के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकला है। सरकार ने कहा है कि कानून बनाने और खत्म करने की लंबी प्रक्रिया है, मांगों पर चर्चा के लिए समिति बनाने की पेशकश की गई है।

आंदोलन के 35वें दिन हुई महापंचायत में भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने कहा कि आंदोलन का निष्कर्ष निकलना चाहिए नहीं तो किसान बिरादरी बर्बाद हो जाएगी। उन्होंने कहा कि सभी किसान संगठन हल नहीं निकलने तक आंदोलन पर डटे रहें। वार्ता में राजनाथ सिंह, लालकृष्ण आडवाणी जैसे बुजुर्ग नेताओं को शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार दो कदम पीछे हटे तो किसान ढाई कदम पीछे हटने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि हम प्रधानमंत्री का सर नीचे नहीं करना चाहते बशर्ते की वह भी किसान का सम्मान बनाए रखें और किसानों की सभी मांगों को मानें।