राजनीति

कांग्रेस ने फेसबुक-BJP विवाद को लेकर मार्क ज़करबर्ग को लिखा खत, राहुल गांधी बोले- हर भारतीय को सवाल करना चाहिए

सोशल नेटवर्किंग कंपनी Facebook पर भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में अपनी नीतियों को नज़रअंदाज करने के आरोपों पर मचे राजनीतिक उथल-पुथल के बीच कांग्रेस ने मंगलवार को कंपनी के प्रमुख मार्क ज़करबर्ग को ईमेल के माध्यम से एक चिट्ठी लिखकर मामले में पक्षपातरहित जांच कराने को कहा है. इस चिट्ठी में भारत की मुख्य विपक्षी पार्टी ने कहा है कि इस पूरे मामले की फेसबुक हेडक्वार्टर की तरफ से उच्च स्तरीय जांच कराई जाए और जांच पूरी होने तक उसके इंडिया यूनिट के संचालन की जिम्मेदारी नई टीम को सौपी जाए ताकि जांच को प्रभावित न किया जा सके. पार्टी की ओर से यह चिट्ठी संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल के नाम से ज़करबर्ग को ईमेल की गई है.

इस चिट्ठी को पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी अपने ट्विटर हैंडल से शेयर किया है. राहुल ने अपने ट्वीट में कहा कि हर भारतीय को इस बारे में सवाल पूछना चाहिए. उन्होंने लिखा है, ‘हम पक्षपात, फेक न्यूज और हेट स्पीच के जरिए बहुत मुश्किल से हासिल किए गए अपने लोकतंत्र में छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं कर सकते. सोशल मीडिया पर फेक न्यूज और हेट स्पीच के मामलों में फेसबुक की भूमिका पर WSJ की ओर से लाए गए सच पर हर भारतीय को सवाल करना चाहिए.’

केसी वेणुगोपाल ने ज़करबर्ग को लिखी इस चिट्ठी में इस मामले का हवाला दिया और कहा कि इससे कांग्रेस को बहुत निराशा हुई है. उन्होंने जुकरबर्ग को सुझाव दिया, ‘फेसबुक हेडक्वॉर्टर की ओर से एक हाई लेवल जांच शुरू की जाए और एक या दो महीने के भीतर इसे पूरा कर जांच रिपोर्ट कंपनी के बोर्ड को सौंपी जाए. इस रिपोर्ट को सार्वजनिक भी किया जाए.’ वेणुगोपाल ने यह आग्रह भी किया कि जांच पूरी होने और रिपोर्ट सौंपे जाने तक फेसबुक की इंडियन यूनिट का ऑपरेशन किसी नई टीम को सौपा जाए ताकि जांच की प्रक्रिया प्रभावित न हो.

बता दें कि यह विवाद अमेरिकी अखबार ‘Wall Street Journal’ में शुक्रवार को छपी रिपोर्ट के बाद शुरू हुआ है, जिसमें फेसबुक के अनाम सूत्रों के हवाले से दावा किया गया है कि फेसबुक की वरिष्ठ भारतीय नीति अधिकारी ने कथित तौर पर सांप्रदायिक आरोपों वाली पोस्ट डालने के मामले में तेलंगाना के एक बीजेपी विधायक पर स्थायी पाबंदी को रोकने संबंधी आंतरिक पत्र में दखलंदाजी की थी.

उधर, फेसबुक ने इस तरह के आरोपों के बीच सोमवार को सफाई देते हुए कहा कि उसके मंच पर ऐसे भाषणों और सामग्री पर अंकुश लगाया जाता है, जिनसे हिंसा फैलने की आशंका रहती है. इसके साथ ही कंपनी ने कहा कि उसकी ये नीतियां वैश्विक स्तर पर लागू की जाती हैं और इसमें यह नहीं देखा जाता कि यह किस राजनीतिक दल से संबंधित मामला है. फेसबुक ने इसके साथ ही यह स्वीकार किया है कि वह नफरत फैलाने वाली सभी सामग्रियों पर अंकुश लगाती है, लेकिन इस दिशा में और बहुत कुछ करने की जरूरत है.

Pawan Arora

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