आतंकी खतरों व साइबर क्राइम से सुरक्षा संबंधी इनपुट जुटाने के लिए सर्विलांस जरूरी: गृह मंत्रालय

देश को आतंकी खतरों, चरमपंथ, साइबर क्राइम, ड्रग तस्करी तंत्र से सुरक्षा तथा अखंडता के मद्देनजर सर्विलांस के जरिये सूचनाएं जुटाना बेहद जरूरी है और इसकी अहमियत को किसी भी तरह कम नहीं आंका जा सकता।

इसके बावजूद भी किसी भी एजेंसी को किसी भी सूचना या संदेश की सेंट्रलाइज्ड मॉनीटरिंग सिस्टम (सीएमएस), नेटवर्क ट्रैफिक एनालिसिस (नेत्रा) तथा नेशनल इंटेलीजेंस ग्रिड (नेटग्रिड) के तहत सर्विलांस, इंटरसेप्शन, मॉनीटरिंग या डिक्रिप्शन की निर्बाध अनुमति नहीं दी जाती है।

गृह मंत्रालय ने कहा, किसी भी एजेंसी को नहीं दी जाती निर्बाध अनुमति, निर्णय के अवलोकन के लिए है कमेटी
प्रत्येक मामले में बारीकी से पड़ताल के बाद ही केंद्रीय गृह सचिव द्वारा अनुमति दी जाती है। इसके अवलोकन के लिए बनी कमेटी अगर संतुष्ट नहीं होती तो वह अनुमति रद्द कर सकती है। ये जवाब केंद्र सरकार की ओर से उस जनहित याचिका पर दिया गया है जिसमें सर्विलांस के कारण नागरिकों की निजता को खतरे में बताया गया है। 

मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल तथा न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की खंडपीठ के समक्ष केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से ये हलफनामा पेश किया गया। यह हलफनामा उस जनहित याचिका पर दिया गया है जिसमें कहा गया है कि इन सर्विलांस कार्यक्रमों से नागरिकों की निजता को खतरे में डाला जा रहा है। 

गृह मंत्रालय की ओर से एएसजी चेतन शर्मा ने कोर्ट को बताया कि किसी भी एजेंसी को सूचना या संदेश या संदिग्ध कंप्यूटर के इंटरसेप्शन, मॉनीटरिंग, डिक्रिप्शन से पहले सक्षम अधिकारी जो केंद्रीय गृह सचिव हैं, उनकी अनुमति लेना जरूरी है।

वहीं केंद्र सरकार के स्थाई अधिवक्ता अजय दिगपॉल ने कहा कि किसी भी एजेंसी को इसकी अनुमति इंडियन टेलीग्राफ एक्ट तथा सूचना तकनीकी अधिनियम के तहत प्रदान की जाती है। 

दूसरी ओर एएसजी ने ये भी कहा कि एनजीओ सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेंस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) तथा सॉफ्टवेयर फ्रीडम लॉ सेंटर (एसएफएलसी) की संयुक्त याचिका में निजता के अधिकार के उल्लंघन के एक भी मामले या किसी भी पीड़ित का जिक्र नहीं किया गया है। सर्विलांस के दौरान निजता के अधिकार का पूरी तरह ध्यान रखा जाता है। 

वहीं एनजीओ की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कोर्ट को बताया कि पेश हलफनामे में यह नहीं बताया गया है कि सरकारी की ओर से क्या कदम उठाए गए हैं। भूषण ने कहा कि न केवल फोन कॉल बल्कि यात्रा विवरण, खरीदारी, बैंक लेनदेन आदि को इंटरसेप्ट किया जा रहा है। इसलिए सर्विलांस को नियंत्रित करने के लिए नए सिरे से नियम बनाने की जरूरत है। 

उन्होंने कहा कि सर्विलांस की अनुमति बिना सोच समझे थोक में दी जाती है। उन्होंने सरकार के हलफनामे पर अपनी दलीलें पेश करने के लिए समय मांगा। कोर्ट ने इसके बाद सुनवाई 19 मार्च तय कर दी। 

Khushi Sonker

Khushi Sonker covers National, International, and Corona News Sections. She believes that writing a news article is a different form of writing because news articles present information in a specific way. Hence, she tries to convey all the relevant information in a limited word count and give the facts to the audience concisely.

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