DHFL के नए मालिक बने अजय पीरामल,NCLT से मंजूरी मिलने के बाद विलय होगा

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आर्थिक तंगी, भ्रष्टाचार के आरोपों और बैंकों के कर्ज तले दबी दिवालिया हाउसिंग फाइनेंस कंपनी दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉर्पोरेशन (DHFL) को नया मालिक मिल गया है। पीरामल ग्रुप के चेयरमैन अजय पीरामल DHFL के नए मालिक बन गए हैं। DHFL के लेनदारों ने पीरामल इंटरप्राइजेज की बोली को अपनी मंजूरी दे दी है। DHFL ने शेयर बाजारों को भेजी नियामकीय सूचना में रविवार को कहा कि COC की 15 जनवरी, 2021 को हुई बैठक में Piramal Enterprises की बोली को मंजूरी दी गई। DHFL ने कहा, कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स द्वारा इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) की धारा 30(4) के तहत मेजोरिटी से पीरामल कैपिटल एंड हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड के ऑफर को स्वीकार कर लिया गया।

DHFL के कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स (COC) की ओर से पीरामल के प्रस्ताव को 94% फीसद वोट मिले, जबकि इस डील की दूसरी दावेदार कंपनी अमेरिकी की ओकट्री कैपिटल (Oaktree Capital) को केवल 45% मिले। आपको बता दें कि इस बोली को जीतने के लिए मिनिमम 66% वोटों की जरूरत थी। अजय पीरामल ने Oaktree Capital से कम बोली लगाने के बावजूद DHFL को खरीदने में कामयाबी पाई है। अजय पीरामल की कंपनी ने DHFL को खरीदने के लिए कुल 37,250 करोड़ रुपये का प्रस्ताव दिया था, जबकि ओकट्री का प्रस्ताव 38,400 करोड़ रुपये का था। लेकिन, पीरामल ग्रुप ने ज्यादा अपफ्रंट कैश पेमेंट का प्रस्ताव देकर डील अपने नाम कर लिया। Piramal Enterprises लेनदारों को 12,700 रुपये अपफ्रंट कैश के रूप में पेमेंट करेगी।

NCLT से मंजूरी मिलने के बाद विलय होगा

आपको बता दें कि बिडिंग की डेडलाइन खत्म होने के बाद ओकट्री कैपिटल ने DHFL को खरीदने के लिए अपनी बोली से 1700 करोड़ रुपये और अधिक देने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन उसका यह पैंतरा काम नहीं आया और लेनदारों ने पीरीमल ग्रुप के रिजॉल्यूशन प्लान पर अपनी मोहर लगा दी। अब जैसे ही नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) से इस रिजॉल्यूशन प्लान को मंजूरी मिल जाएगा, वैसे ही पीरामल कैपिटल एंड हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड में DHFL की विलय हो जाएगा।

कोर्ट का रुख कर सकती है ओकट्री कैपिटल

ओकट्री कैपिटल ने चेतावनी दी थी कि अगर उसके ऑफर पर गौर नहीं किया गया तो वह लीगल एक्शन लेगी। ऐसे में ओकट्री कैपिटल अब कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकती है। वोटिंग से तुरंत पहले ओकट्री कैपिटल ने DHFL के लेनदारों को एक चिट्ठी लिखकर आरोप लगाया था कि COC उसके ऑफर को 2700 करोड़ रुपये कम आंक रही है और पीरामल ग्रुप को गलत तरीके से फायदा पहुंचा रही है। ओकट्री ने कहा था कि उसका ऑफर मार्केट वैल्यू के हिसाब से पीरामल इंटरप्राइजेज के ऑफर प्राइस से 4503 करोड़ रुपये अधिक है।

DHFL पर इन बैंकों को इतना बकाया

DHFL पर बैंकों के करीब 90,000 करोड़ रुपये बाकी हैं। DHFL पर SBI और SBI Singapore के 10,083 करोड़ रुपये, बैंक ऑफ इंडिया के 4125 करोड़ रुपये, केनरा बैंक के 2681 करोड़ रुपये, NHB के 2434 करोड़ रुपये, यूनियन बैंक के 2378 करोड़ रुपये, सिडिकेट बैंक के 2229 करोड़ रुपये, बैंक ऑफ बड़ौदा के 2075 करोड़ रुपये, इंडियन बैंक के 1552 करोड़ रुपये, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के 1389 करोड़ रुपये, IDBI बैंक के 999 करोड़ रुपये और HDFC के 361 करोड़ रुपये बाकी हैं।