तालिबान का बयान – भारत के खिलाफ नहीं होगा अफगान धरती का इस्तेमाल, राजनयिकों और दूतावासों को कोई खतरा नहीं

    303

    पिछले दिनों भारत की अध्यक्षता में हुई संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में तालिबान की क्रूरता का मुद्दा जोर-शोर से उठा था। उधर, भारत, अमेरिका और ब्रिटेन ने भी अपने लोगों को तालिबान से निकालने के लिए सैनिकों को भेजे जाने की बात कही है। इसके बाद से तालिबान के सुर बदलना शुरू हो गए हैं। 

    तालिबानी प्रवक्ता मुहम्मद सुहेल शाहीन ने शनिवार को एएनआई को दिए बयान में कहा कि भारत या किसी भी देश के खिलाफ अफगानिस्तान की जमीन का प्रयोग नहीं होगा। तालिबान किसी को भी अफगानिस्तान की जमीन का प्रयोग करने की इजाजत नहीं देगा। फिर चाहें वह पड़ोसी राज्य ही क्यों न हो। 

    दूतावासों व राजनायिकों को कोई खतरा नहीं 
    एएनआई न्यूज एजेंसी से बात करते हुए तालिबान के प्रवक्ता ने कहा कि तालिबान पहले भी यह बात कह चुका है कि अफगानिस्तान में अन्य देशों के दूतावासों व राजनायिकों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा। यह तालिबान का वादा है। शाहीन ने कहा कि हम पर पाकिस्तान से संबंध रखने के आरोप लग रहे हैं। लेकिन, यह जमीनी हकीकत नहीं है। यह एक राजनैतिक चाल है। 

    अफगानिस्तान के लिए भारत ने जो भी किया, उसके शुक्रगुजार हैं
    अफगानिस्तान में भारत की भविष्य की परियोजनाओं पर भी तालिबान ने बात की। शाहीन ने कहा कि अफगानिस्तान के लोगों के लिए जो भी संसाधन उपलब्ध कराए गए हैं, यहां जो भी विकास हुआ है। उसके लिए हम भारत के शुक्रगुजार हैं। उसने आगे कहा कि भारतीय प्रतिनिध मंडल और हमारे बीच बैठक की खबरें सामने आ रही हैं। लेकिन, मैं इसकी पुष्टि नहीं कर सकता। क्येांकि, मेरी जानकारी के अनुसार ऐसी कोई बैठक नहीं हुई है। हालांकि, उसने कहा कि शुक्रवार को हमने दोहा में एक बैठक की थी, जिसमें भारतीय प्रतिनिधि मंडल भी मौजूद था। 

    निशान साहेब पर सिखों ने ही हटाया था झंडा 
    अफगानिस्तान में स्थित गुरुद्वारे निशान साहेब से सिख समुदाय का झंडा हटाए जाने के आरोप पर शाहीन ने कहा कि सिख समुदाय ने खुद से वह झंडा हटाया था। हमारे लोग वहां गए और उन्हें नुकसान न पहुंचाने का आश्वासन दिया। इसके बाद सिख समुदाय का झंडा फिर से लगा दिया गया। 

    हालांकि, शाहीन ने भारत को चेतावनी भी दी है। तालिबान ने कहा कि भारत की सेना अगर अफगानिस्तान आती है। तो, यह अच्छा नहीं होगा। क्योंकि, अन्य देशों की सेना भी अफगानिस्तान आई थी। लेकिन, उनका क्या हुआ यह भारत अच्छी तरह जानता है।