भारत बायोटेक के टीके को इसकी प्रभावशीलता के आंकड़े के प्रकाशन के बिना आपात इस्तेमाल की अनुमति देने पर सवाल उठाए जाने के बाद कंपनी के चेयरमैन ने सोमवार को आलोचकों को जवाब देते हुए पलटवार किया। उन्होंने कहा कि उनके फर्म ने 200 फीसदी ईमानदार क्लीनिकल परीक्षण किए हैं। भारत बायोटेक के चेयरमैन कृष्णा एला ने ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उनकी कंपनी का सुरक्षित और प्रभावी टीके के उत्पादन करने का एक रिकार्ड है और वह सभी आंकड़ों को लेकर पारदर्शी है।
उन्होंने कहा कि हम न केवल भारत में क्लीनिकल परीक्षण कर रहे हैं। हमने ब्रिटेन सहित 12 से अधिक देशों में क्लीनिकल परीक्षण किए हैं। उन्होंने कहा कि कई लोग सिर्फ भारतीय कंपनियों पर निशाना साधने के लिए अलग तरह से बातें कर रहे हैं। यह हमारे लिए सही नहीं है।
उन्होंने कहा कि ‘कोवैक्सीन’ ने कई वायरल प्रोटीन के खिलाफ एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया के साथ एक उत्कृष्ट सुरक्षा डेटा उत्पन्न किये हैं। एला ने कहा कि उनकी कंपनी ने 200 प्रतिशत ईमानदार क्लीनिकल परीक्षण किए हैं। उन्होंने कहा कि मुझे एक सप्ताह का समय दें, मैं आपको पुष्ट आंकड़े दूंगा। उन्होंने उल्लेख किया कि भारत बायोटेक ने 16 टीके बनाए हैं।
उन्होंने कहा कि हम केवल एक भारतीय कंपनी नहीं बल्कि वास्तव में एक वैश्विक कंपनी हैं। लोगों को यह आरोप नहीं लगाना चाहिए कि हम क्लीनिकल अनुसंधान नहीं जानते। एला ने सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला का नाम लिये बिना कहा कि हम 200 फीसद ईमानदार क्लीनिकल ट्रायल करते हैं, इसके बावजूद निशाना बनाए जाते हैं।
यदि मैं गलत हूं तो मुझे बतायें। कुछ कंपनियों ने मुझे पानी की तरह बताया है। उल्लेखनीय है कि सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ पूनावाला ने फाइजर, मॉडर्ना और आक्सफोर्ड-एस्ट्रा जेनेका के अलावे अन्य टीकों को पानी की तरह बताया था। उन्होंने यह भी कहा कि भारत बायोटेक का टीका फाइजर के टीके से किसी भी तरह से कमतर नहीं है।
कोरोना महामारी ने वक्त का पहिया कई साल पीछे घुमा दिया है। लॉकडाउन के कारण बहुत सी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डाक्टर हर्षवर्धन ने सोमवार को यह बात कही। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने संक्रमण को रोकने के लिए कदम उठाए और अब बड़े पैमाने पर टीकाकरण के लिए तैयार है।
चेन्नई के श्री रामचंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ हायर एजुकेशन एंड रिसर्च के दीक्षा समारोह में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस महामारी के दौरान हेल्थकेयर के मामले में सरकारी इकाइयों का योगदान सामने आया। उन्होंने कहा, ‘लॉकडाउन ने कई मुश्किलें पैदा कीं। इस दौरान रणनीतिक सोच और विचारपूर्ण नेतृत्व अहम था। साथ ही सामाजिक प्रतिबद्धता की सबसे ज्यादा जरूरत थी। चिकित्सक किसी भी समाज की रीढ़ होते हैं। अगर हमारे चिकित्सक प्रतिबद्ध हैं तो चीजें अपने आप व्यवस्थित हो जाती हैं।’ केंद्रीय मंत्री ने कोरोना काल में सरकार की ओर से उठाए गए विभिन्न कदमों का भी जिक्र किया।