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इलाहाबाद हाईकोर्ट का सख्त रुख: सेवानिवृत्त जजों के नाम में 'रिटायर्ड' जोड़ने पर जताई नाराज़गी, सरकार को दिए निर्देश

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इलाहाबाद हाईकोर्ट का सख्त रुख: सेवानिवृत्त जजों के नाम में 'रिटायर्ड' जोड़ने पर जताई नाराज़गी, सरकार को दिए निर्देश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में एक अहम मुद्दे पर सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने सरकारी अधिकारियों द्वारा हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीशों के नाम के साथ "रिटायर्ड" शब्द जोड़ने के तरीके पर गहरी नाराजगी जताई है। कोर्ट ने इस गलती को सुधारने के लिए राज्य सरकार को तुरंत कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।

जस्टिस जे.जे. मुनीर ने इस बात पर जोर दिया कि "रिटायर्ड" शब्द का प्रयोग न्यायाधीश के नाम के साथ इस तरह से नहीं होना चाहिए जैसे यह उनके नाम का हिस्सा हो। उन्होंने स्पष्ट किया कि न्यायाधीशों के नाम के बाद "सेवानिवृत्त न्यायाधीश" या "हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश" लिखा जाना चाहिए, न कि सीधे नाम में 'रिटायर्ड' जोड़ा जाए।

सही शब्दावली का उपयोग:

कोर्ट ने इस गलती को गंभीरता से लेते हुए कहा कि सेवानिवृत्त जजों को 'माननीय श्रीमान न्यायमूर्ति… (सेवानिवृत्त)' के रूप में संबोधित किया जाना चाहिए। 'सेवानिवृत्त' शब्द को न्यायाधीश के नाम का हिस्सा बनाने से बचना चाहिए। जज के नाम के बाद 'सेवानिवृत्त न्यायाधीश' या 'हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश' जैसे शब्दों का सही प्रयोग होना चाहिए। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि यह गलती अब आम हो गई है और इसे ठीक करना आवश्यक है।

प्रोटोकॉल का उल्लंघन और कोर्ट की आपत्ति:

जस्टिस मुनीर ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए रजिस्ट्रार को निर्देश दिया कि वे इस संबंध में एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करें। कोर्ट ने यह भी कहा कि रजिस्ट्रार (प्रोटोकॉल) द्वारा प्रस्तुत की जाने वाली रिपोर्ट के साथ मौजूदा और पिछले प्रोटोकॉल दिशा-निर्देश भी पेश किए जाएं।

यह मुद्दा तब उठा जब कोर्ट ने देखा कि उत्तर प्रदेश सरकार के एक अधिकारी द्वारा एक मामले में दायर हलफनामे में एक पूर्व न्यायाधीश का नाम गलत तरीके से लिखा गया था। हलफनामे में अपर मुख्य सचिव (गृह) ने एक समिति का उल्लेख किया था, जिसकी अध्यक्षता "माननीय न्यायमूर्ति श्री जेएन मित्तल" कर रहे थे। हालांकि, सही नाम जस्टिस एएन मित्तल था।

कोर्ट ने इस गलती को अपमानजनक और प्रोटोकॉल का उल्लंघन माना। कोर्ट ने कहा कि किसी न्यायाधीश का गलत नाम लेना न केवल उनके सम्मान का उल्लंघन है, बल्कि यह प्रोटोकॉल के नियमों का भी उल्लंघन है।

सरकार को दिए निर्देश और अगली सुनवाई:

कोर्ट ने राज्य सरकार को इस मुद्दे पर सुधारात्मक कदम उठाने के लिए निर्देशित किया है। सरकार से उम्मीद की जा रही है कि वह इस गलती को सुधारते हुए भविष्य में ऐसे किसी भी तरह के उल्लंघन से बचने के उपाय करेगी।

मामले की अगली सुनवाई 30 अगस्त को होगी, जिसमें राज्य सरकार की ओर से उठाए गए कदमों की समीक्षा की जाएगी। कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि वह इस मुद्दे पर किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं करेगी, और भविष्य में इस तरह की गलतियों से बचने के लिए सख्त कदम उठाने की जरूरत है।

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