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Phir Aayi Haseen Dillruba Movie Review: प्यार, धोखे, और सस्पेंस की अधपकी कहानी

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Phir Aayi Haseen Dillruba Movie Review: प्यार, धोखे, और सस्पेंस की अधपकी कहानी

Movie name: Phir Aayi Haseen Dillruba  
Director: Jaiprad Desai  
Movie Casts: Taapsee Pannu, Vikrant Massey, Sunny Kaushal, Jimmy Shergill

 

Phir Aayi Haseen Dillruba Movie Review: (Ashwini Kumar)– एक बार फिर, सिनेमा प्रेमियों के लिए एक पल्प फिक्शन टाइप की कहानी लेकर आई है ‘फिर आई हसीन दिलरुबा’। एक ऐसे समय में, जब दर्शकों की उम्मीदें नए और ताजगी भरे कंटेंट पर टिकी हैं, इस फिल्म ने उसी पुराने ढर्रे पर चलते हुए एक अधपकी कहानी परोस दी है। हालांकि, इसमें एक ताजगी का अहसास देने का प्रयास किया गया है, लेकिन यह उतनी कामयाब नहीं हो पाई है जितनी उम्मीद थी।

हसीन दिलरुबा की वापसी: नए ट्विस्ट और टर्न्स

2021 में रिलीज हुई ‘हसीन दिलरुबा’ ने ओटीटी प्लेटफॉर्म पर धूम मचा दी थी। प्यार, जुनून, और अपराध के ताने-बाने में बंधी इस फिल्म को दर्शकों ने खूब सराहा था। तापसी पन्नू, विक्रांत मैसी, और हर्षवर्धन राणे की इस फिल्म ने दर्शकों को अंत तक बांधे रखा था। अब, इसके सीक्वल ‘फिर आई हसीन दिलरुबा’ से भी कुछ वैसी ही उम्मीदें थीं। फिल्म का ट्रेलर देखने के बाद दर्शकों में उत्सुकता थी कि इस बार कहानी में कौन से नए मोड़ आएंगे, लेकिन जब आप फिल्म देखते हैं, तो आप महसूस करते हैं कि यह वही पुरानी कहानी है, जिसमें नए कलेवर का केवल ढोंग रचा गया है।

कहानी का नया कलेवर: प्यार, धोखे, और बदले की आग

इस बार की कहानी आगरा के बैकड्रॉप में सेट की गई है। रानी (तापसी पन्नू) और रिशु (विक्रांत मैसी) एक नई जिंदगी की शुरुआत करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन नील की मौत का साया अभी भी उनके रिश्ते पर मंडरा रहा है। इसी बीच, अभिमन्यू (सनी कौशल) की एंट्री होती है, जो इस कहानी को फिर से उलझा देती है। रानी और अभिमन्यू के बीच के प्रेम त्रिकोण में ईर्ष्या, बदले की भावना और धोखे का तड़का लगाया गया है।

फिल्म की कहानी में कुछ पुराने बॉलीवुड फिल्मों जैसे ‘खून भरी मांग’ और ‘कर्ज़’ के प्रभाव दिखते हैं। लेकिन कनिका ढिल्लन ने इस बार कहानी में जो तड़का लगाने की कोशिश की है, वह सही से पक नहीं पाया है। प्यार और धोखे की यह कहानी शुरू में तो दिलचस्प लगती है, लेकिन धीरे-धीरे इसकी पकड़ ढीली पड़ जाती है।

विजुअल इफेक्ट्स और निर्देशन: कमजोर कड़ियाँ

फिल्म का निर्देशन जयप्रद देसाई ने किया है, लेकिन इसमें वह सटीकता और परफेक्शन नजर नहीं आता जो इस तरह की फिल्मों में होना चाहिए। आगरा की खूबसूरत लोकेशन्स का इस्तेमाल तो किया गया है, लेकिन विजुअल इफेक्ट्स और सिनेमैटोग्राफी के मामले में फिल्म काफी कमजोर साबित हुई है। ऐसा लगता है कि फिल्म का बजट सीमित था, और इसे पूरा करने के लिए कहानी के कुछ हिस्सों को अधूरा छोड़ दिया गया है।

जब आप इस फिल्म को देखते हैं, तो आपको महसूस होता है कि इसमें थ्रिल, सिडक्शन, और पैशन का वह लेवल नहीं है, जो इसे एक क्राइम थ्रिलर के रूप में कामयाब बना सके। पिछली फिल्म की तरह इसमें भी सेक्स, धोखा, और मर्डर के एलीमेंट्स हैं, लेकिन वह थ्रिलिंग एक्सपीरियंस नहीं है जो दर्शक उम्मीद करते हैं।

कलाकारों की परफॉर्मेंस: मिला-जुला प्रदर्शन

तापसी पन्नू ने पिछली फिल्म में अपने किरदार रानी के रूप में जो छाप छोड़ी थी, इस बार वह उसे रिपीट करने में असफल रहीं। उनके किरदार में इस बार न तो वह सिडक्शन है, और न ही वह इमोशनल ग्रेविटी जो दर्शकों को उनसे बांधे रख सके। तापसी का अभिनय इस बार कहीं न कहीं फीका पड़ गया है। उनके एक्सप्रेशन्स में कंफ्यूजन नजर आता है, जो उनके किरदार की मजबूती को कम कर देता है।

विक्रांत मैसी ने अपने किरदार रिशु को अच्छी तरह निभाया है। उनके किरदार में ग्रोथ नजर आती है, और वह फिल्म के एकमात्र ऐसे किरदार हैं जिनके साथ दर्शक खुद को रिलेट कर सकते हैं। लेकिन क्लाइमेक्स में उनका किरदार भी कुछ हद तक फीका पड़ जाता है। सनी कौशल, जो इस फिल्म में अभिमन्यू के किरदार में नजर आए हैं, ने अपने अभिनय से निराश किया है। उनके किरदार में वह गहराई नहीं है जो एक क्राइम थ्रिलर में होना चाहिए। जिम्मी शेरगिल की एंट्री ने फिल्म में थोड़ी जान डालने की कोशिश की, लेकिन उनका किरदार भी अधूरा ही रह गया।

कहानी का कमजोर क्लाइमेक्स: अधूरी उम्मीदें

फिल्म का क्लाइमेक्स कमजोर साबित होता है। जहां दर्शक एक धमाकेदार अंत की उम्मीद कर रहे थे, वहां उन्हें अधपकी कहानी का सामना करना पड़ता है। फिल्म का एंडिंग सीन आपको सोचने पर मजबूर कर देता है कि क्या सच में इस कहानी का यही अंत होना चाहिए था?

कुल मिलाकर, ‘फिर आई हसीन दिलरुबा’ ने दर्शकों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा। कहानी का दोहराव, कमजोर निर्देशन, और अधूरी परफॉर्मेंस ने इस फिल्म को एक औसत दर्जे की फिल्म बना दिया है। फिल्म की जो पकड़ पहले हाफ में दिखती है, वह दूसरे हाफ में ढीली पड़ जाती है। इस फिल्म को देखने के बाद आप महसूस करते हैं कि कुछ कहानियां एक ही बार में पूरी हो जानी चाहिए, और उन्हें खींचकर सीक्वल में बदलना हमेशा कामयाब नहीं होता।

फिल्म को 2 स्टार।

'फिर आई हसीन दिलरूबा' एक ऐसा अनुभव है, जो अधूरा लगता है। फिल्म की कहानी में दम नहीं है, और निर्देशन भी उतना प्रभावशाली नहीं है। यदि आप पहले भाग के फैन हैं, तो हो सकता है कि यह फिल्म आपकी उम्मीदों पर खरी न उतरे।

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