जस्टिस संजीव खन्ना ने आज (11 नवंबर) को देश के 51वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने उन्हें शपथ दिलाई। यह शपथग्रहण समारोह राष्ट्रपति भवन के अशोक हॉल में आयोजित हुआ, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई वरिष्ठ नेता और गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए। इस अवसर पर न्यायपालिका के उच्च अधिकारी भी उपस्थित थे। जस्टिस संजीव खन्ना का कार्यकाल 13 मई, 2025 तक रहेगा।
जस्टिस संजीव खन्ना के प्रमुख ऐतिहासिक फैसले
जस्टिस खन्ना ने अपने न्यायिक करियर में कई महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा बने हैं। उनके कुछ प्रमुख फैसले इस प्रकार हैं:
- ईवीएम की उपयोगिता बनाए रखना: उन्होंने चुनाव में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) की उपयोगिता और उसकी पारदर्शिता को बरकरार रखने में अहम भूमिका निभाई है।
- चुनावी बांड योजना: चुनावी बांड योजना को चुनौती देने वाले मामलों पर उन्होंने अपनी राय दी, जो चुनावी पारदर्शिता को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है।
- अनुच्छेद-370 का निरस्तीकरण: जस्टिस खन्ना ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले का समर्थन किया था, जिससे राज्य का विशेष दर्जा समाप्त कर दिया गया।
- अंतरिम जमानत: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को लोकसभा चुनाव के दौरान प्रचार के लिए अंतरिम जमानत प्रदान करने का महत्वपूर्ण फैसला भी उनके द्वारा सुनाया गया था।
तीस हजारी कोर्ट से लेकर सीजेआई तक का सफर
जस्टिस संजीव खन्ना का जन्म 14 मई 1960 को दिल्ली में हुआ। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली से पूरी की। उनके पिता न्यायमूर्ति देस राज खन्ना दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश रह चुके थे। जस्टिस खन्ना ने दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की और 1983 में दिल्ली बार काउंसिल के साथ वकील के रूप में पंजीकरण कराया।
शुरुआत में उन्होंने दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट में जिला न्यायालयों में प्रैक्टिस की। इसके बाद, उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय और विभिन्न न्यायाधिकरणों में वकालत की। उनकी विशेषज्ञता वाणिज्यिक कानून, कंपनी कानून, भूमि कानून, पर्यावरण कानून और चिकित्सा लापरवाही कानूनों में रही है। उनकी कानून की समझ और निपुणता ने उन्हें जल्द ही वकीलों और न्यायाधीशों के बीच लोकप्रिय बना दिया।
सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति और कार्यकाल
18 जनवरी 2019 को जस्टिस खन्ना को भारत के सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया। उन्होंने कई महत्वपूर्ण मामलों में फैसला सुनाया और देश की न्यायपालिका में अपने प्रभावशाली योगदान के लिए जाने जाते हैं।
वह 17 जून 2023 से 25 दिसंबर 2023 तक सुप्रीम कोर्ट कानूनी सेवा समिति के अध्यक्ष रहे। इसके अलावा, वह वर्तमान में राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष और राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी, भोपाल के गवर्निंग काउंसिल के सदस्य भी हैं।
न्यायपालिका में अनुभव और योगदान
जस्टिस संजीव खन्ना के न्यायिक अनुभव और उनकी विशिष्ट विशेषज्ञता ने उन्हें सर्वोच्च न्यायालय में उच्च सम्मान दिलाया है। उन्होंने कई विवादास्पद और संवेदनशील मामलों में निष्पक्षता और न्याय के सिद्धांतों का पालन करते हुए निर्णय सुनाए हैं। उनकी न्यायिक समझ और निष्पक्ष दृष्टिकोण ने उन्हें एक उत्कृष्ट न्यायाधीश के रूप में स्थापित किया है।
उनके कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण कानूनी और संवैधानिक मुद्दों पर विचार किया जाएगा। न्यायपालिका में सुधार और पारदर्शिता लाने के प्रयास में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण होगी। न्यायपालिका में उनके योगदान की प्रशंसा विभिन्न न्यायिक और कानूनी विशेषज्ञों ने की है।
भविष्य की उम्मीदें
जस्टिस संजीव खन्ना के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने से न्यायपालिका में नए सुधार और पारदर्शिता की उम्मीद की जा रही है। उनके कार्यकाल के दौरान न्यायिक सुधारों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा, जिससे आम नागरिकों को न्याय मिलने में आसानी होगी। देश की न्यायिक प्रणाली को और सशक्त बनाने के लिए उनके प्रयासों से नए मानक स्थापित होने की उम्मीद है।
जस्टिस खन्ना का अब तक का सफर और उनकी न्यायिक दृष्टि यह संकेत देती है कि वह अपने कार्यकाल में न्यायपालिका को एक नई दिशा देने में सक्षम होंगे। उनका अनुभव और निष्पक्षता देश की न्यायिक प्रणाली को मजबूती प्रदान करेगी।
जस्टिस संजीव खन्ना का सीजेआई के रूप में शपथ लेना न केवल उनके व्यक्तिगत करियर का महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, बल्कि भारतीय न्यायपालिका के लिए भी एक ऐतिहासिक क्षण है। उनके अनुभव और कुशल नेतृत्व से देश की न्यायिक प्रणाली को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने की उम्मीद की जा रही है।