भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट को लेकर चर्चाएं हमेशा से ही जोरों पर रहती हैं, और अब एक बार फिर यह चर्चा चरम पर है। इस बार मामला 2025 में होने वाली चैंपियंस ट्रॉफी का है, जिसकी मेजबानी पाकिस्तान को मिली है। सवाल यह है कि क्या भारतीय क्रिकेट टीम इस टूर्नामेंट के लिए पाकिस्तान का दौरा करेगी या नहीं।
हाल ही में भारतीय क्रिकेट बोर्ड के सचिव जय शाह को आईसीसी (अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद) का चेयरमैन बनाया गया है, और इसके बाद से इस मुद्दे पर अटकलें और भी तेज हो गई हैं।
चैंपियंस ट्रॉफी 2025 और हाइब्रिड मॉडल
फरवरी-मार्च 2025 में चैंपियंस ट्रॉफी का आयोजन होना है और इसकी मेजबानी पाकिस्तान को सौंपी गई है। हालांकि, दोनों देशों के बीच राजनीतिक तनाव के चलते भारतीय टीम का पाकिस्तान दौरा करना या न करना, एक बड़ा सवाल बन गया है। जय शाह के आईसीसी के चेयरमैन बनने के बाद इस टूर्नामेंट को हाइब्रिड मॉडल में कराने की चर्चा हो रही है। हाइब्रिड मॉडल का मतलब है कि टूर्नामेंट का कुछ हिस्सा पाकिस्तान में और कुछ हिस्सा तटस्थ स्थान पर हो सकता है।
बासित अली का बयान
इस बीच, पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर बासित अली ने अपने यूट्यूब चैनल पर इस मुद्दे को लेकर बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि भारत के पाकिस्तान दौरे का फैसला अब पूरी तरह से भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों में है। अगर पीएम मोदी सहमत होते हैं, तो भारतीय टीम पाकिस्तान का दौरा कर सकती है, अन्यथा जय शाह के लिए फैसला करना मुश्किल हो जाएगा।
बासित अली का कहना है कि जय शाह के चेयरमैन बनने से भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट संबंधों में कुछ नयापन आ सकता है, लेकिन यह सब कुछ प्रधानमंत्री मोदी की सहमति पर निर्भर करेगा।
हाइब्रिड मॉडल: क्या है?
हाइब्रिड मॉडल का मतलब है कि टूर्नामेंट का कुछ हिस्सा पाकिस्तान में और बाकी का हिस्सा किसी तटस्थ स्थान पर खेला जा सकता है। यह मॉडल पिछले साल एशिया कप 2023 के दौरान अपनाया गया था, जहां भारत के मैच श्रीलंका में खेले गए थे जबकि पाकिस्तान में बाकी मुकाबले हुए थे।
इस मॉडल का फायदा यह है कि पाकिस्तान को अपनी मेजबानी बचाए रखने का मौका मिलता है, और साथ ही भारत को पाकिस्तान जाने की जरूरत नहीं होती। इस मॉडल पर चर्चा इसलिए हो रही है क्योंकि दोनों देशों के बीच मौजूदा राजनीतिक माहौल को देखते हुए, भारतीय टीम का पाकिस्तान में खेलना मुश्किल माना जा रहा है।
पीएम मोदी की भूमिका
इस पूरे मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण मानी जा रही है। जय शाह, जो कि बीसीसीआई के सचिव और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बेटे हैं, का आईसीसी का चेयरमैन बनना इस बात का संकेत है कि भारत की क्रिकेट नीति में राजनीतिक नेतृत्व का असर भी देखा जाएगा।
अगर पीएम मोदी चैंपियंस ट्रॉफी के लिए भारतीय टीम को पाकिस्तान भेजने की अनुमति देते हैं, तो यह दोनों देशों के बीच क्रिकेट संबंधों के लिए एक नया अध्याय हो सकता है। लेकिन अगर वे सहमत नहीं होते, तो जय शाह को एक अलग रणनीति अपनानी पड़ सकती है, जैसे कि हाइब्रिड मॉडल या फिर पूरी तरह से टूर्नामेंट का स्थान बदलने का प्रयास।
क्रिकेट और राजनीति का मिलाजुला असर
भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट हमेशा से ही सिर्फ खेल से बढ़कर कुछ रहा है। दोनों देशों के बीच राजनीतिक तनाव का असर खेल पर भी पड़ा है। पिछले कुछ सालों में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सीरीज नहीं हो पाई है, और दोनों टीमें सिर्फ आईसीसी टूर्नामेंट या एशिया कप में ही एक-दूसरे का सामना करती हैं।
चैंपियंस ट्रॉफी 2025 के लिए भारतीय टीम का पाकिस्तान दौरा करना या न करना, दोनों देशों के बीच भविष्य के क्रिकेट संबंधों को भी प्रभावित करेगा।
क्रिकेट फैन्स की उम्मीदें
क्रिकेट फैन्स की नजरें अब इस बात पर टिकी हैं कि भारतीय टीम पाकिस्तान का दौरा करेगी या नहीं। क्रिकेट प्रेमियों को उम्मीद है कि दोनों देश खेल के माध्यम से अपने संबंधों को बेहतर बना सकते हैं। लेकिन यह सब कुछ अब राजनीतिक नेतृत्व के फैसले पर निर्भर करेगा।
चैंपियंस ट्रॉफी 2025 को लेकर भारत के पाकिस्तान दौरे का मुद्दा जितना खेल से जुड़ा है, उतना ही राजनीति से भी प्रभावित है। जय शाह के आईसीसी चेयरमैन बनने के बाद यह चर्चा और तेज हो गई है कि भारतीय टीम हाइब्रिड मॉडल में इस टूर्नामेंट को खेलेगी या नहीं। फिलहाल, सभी की नजरें पीएम मोदी के फैसले पर टिकी हैं, जो यह तय करेंगे कि भारत पाकिस्तान जाएगा या नहीं।