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Horror Story: पश्चिम बंगाल का भूतिया रेलवे स्टेशन: बेगुनकोडोर की रहस्यमयी और डरावनी कहानी

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Horror Story: पश्चिम बंगाल का भूतिया रेलवे स्टेशन: बेगुनकोडोर की रहस्यमयी और डरावनी कहानी

पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले में स्थित बेगुनकोडोर रेलवे स्टेशन को भारत के सबसे डरावने रेलवे स्टेशनों में से एक माना जाता है। 1960 में स्थापित इस स्टेशन की कहानी न केवल रहस्यमय है बल्कि बेहद दिलचस्प भी है। क्या आप जानते हैं कि इस स्टेशन पर भूतों की मौजूदगी की अफवाहें इतनी फैल गईं कि रेलवे को इसे बंद करना पड़ा? आइए जानते हैं इस स्टेशन के भूतिया इतिहास के बारे में और कैसे इसकी भूतिया घटनाओं ने लोगों की ज़िन्दगी को प्रभावित किया।

बेगुनकोडोर का स्थापना और शुरूआत

बेगुनकोडोर रेलवे स्टेशन की स्थापना 1960 में हुई थी। यह स्टेशन पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले में स्थित है और इसके शुरूआती वर्षों में इसे एक सामान्य रेलवे स्टेशन माना जाता था। लेकिन, जैसे-जैसे समय बीतता गया, इस स्टेशन की छवि धीरे-धीरे बदलने लगी और यह भूतिया घटनाओं के लिए जाना जाने लगा।

भूतिया घटनाओं की शुरुआत

स्टेशन की स्थापना के सात साल बाद, यानि 1967 के आस-पास, बेगुनकोडोर रेलवे स्टेशन पर अजीबोगरीब घटनाओं की शुरूआत हुई। एक दिन, एक ट्रेन जब स्टेशन से रवाना हो रही थी, तो ट्रेन के ड्राइवर को ऐसा लगा जैसे कोई महिला चीख रही हो और उसे ट्रेन में चढ़ने के लिए कह रही हो। ड्राइवर ने अपनी आँखों पर विश्वास नहीं किया और बाहर झांक कर देखा, लेकिन वहां कोई महिला नहीं थी। इसे उसने अपने भ्रम का हिस्सा मान लिया और ट्रेन को चलाते रहे।

इसी दौरान, स्टेशन के एक पोर्टर ने एक रात रेलवे ट्रैक पर खून के छींटे देखे, जो सुबह तक गायब हो गए थे। यह घटना स्थानीय लोगों के लिए एक बड़ा सवाल बन गई और इसने स्टेशन की भूतिया छवि को और भी मजबूत किया।

महिला यात्री की दर्दनाक मौत

बेगुनकोडोर रेलवे स्टेशन पर हुई एक दर्दनाक घटना ने इस स्टेशन की भूतिया छवि को और भी गहरा कर दिया। एक दिन, एक महिला यात्री ट्रेन से उतरी और पानी भरने के लिए नल की ओर बढ़ी। लेकिन, जब तक वह पानी भरती, ट्रेन चलने लगी। महिला ने ट्रेन पकड़ने की कोशिश की, लेकिन चलते हुए ट्रेन में चढ़ते वक्त उसका पांव फिसल गया और वह ट्रेन के नीचे आ गई। उसकी दर्दनाक मौत हो गई और लोगों का मानना है कि उसकी आत्मा अब भी बेगुनकोडोर रेलवे स्टेशन पर भटकती रहती है।

भूतिया घटनाओं का बढ़ना और कर्मचारी की चिंता

बेगुनकोडोर रेलवे स्टेशन पर भूतिया घटनाओं का सिलसिला बढ़ता चला गया। कई बार ऐसा होता कि स्टेशन मास्टर की लाल झंडी गायब हो जाती थी और ट्रेनें अपने आप इस स्टेशन पर रुक जाती थीं, भले ही उनका स्टॉपेज इस स्टेशन पर नहीं था। कुछ यात्रियों ने खिड़कियों से महिला के कटे हुए हाथ और बिना सिर के धड़ को भी देखा।

इन घटनाओं से रेलवे कर्मचारी भी परेशान हो गए। कई कर्मचारी इस स्टेशन पर काम करने से डरने लगे और अफवाहें फैल गईं कि प्रेतात्मा स्टेशन पर आने वाले हर कर्मचारी और यात्री को नुकसान पहुंचा सकती है। इन अफवाहों के चलते रेलवे कर्मचारियों ने इस स्टेशन से ट्रांसफर के लिए आवेदन देना शुरू कर दिया।

स्टेशन का बंद होना

भूतिया घटनाओं के बढ़ते प्रभाव और कर्मचारियों के डर के चलते, रेलवे प्रशासन ने बेगुनकोडोर स्टेशन को बंद करने का निर्णय लिया। यह स्टेशन लगभग 42 साल तक बंद रहा, और इस दौरान यह जगह पूरी तरह से खाली हो गई। इस बंदी ने स्टेशन की भूतिया छवि को और भी पुख्ता किया और लोगों के बीच इसके बारे में और भी कहानियाँ फैल गईं।

पुनरुद्धार और वर्तमान स्थिति

लगभग चार दशकों की बंदी के बाद, 2009 में बेगुनकोडोर रेलवे स्टेशन को पुनः शुरू किया गया। पुनरुद्धार के बाद, स्टेशन पर पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठान किए गए ताकि प्रेतात्मा की मौजूदगी को समाप्त किया जा सके। वर्तमान में, बेगुनकोडोर स्टेशन एक सामान्य रेलवे स्टेशन के रूप में कार्य कर रहा है, और यात्रियों की आवाजाही भी यहां सामान्य हो गई है।

हालांकि, भूतिया घटनाओं की यह कहानी अब भी लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है। बेगुनकोडोर रेलवे स्टेशन की यह रहस्यमयी और डरावनी कहानी एक अद्वितीय उदाहरण है कि कैसे एक साधारण जगह पर भूतिया घटनाएं लोगों की कल्पना को प्रभावित कर सकती हैं। चाहे आप इस स्टेशन पर जाएं या न जाएं, इसकी भूतिया कहानी निश्चित रूप से आपके मन में घर कर जाएगी और आपको सोचने पर मजबूर करेगी कि क्या वास्तव में भूत होते हैं।

बेगुनकोडोर रेलवे स्टेशन की यह कहानी एक अद्भुत और डरावनी यात्रा का प्रतीक है। इस स्टेशन की रहस्यमयी घटनाओं ने न केवल यात्रियों को प्रभावित किया बल्कि रेलवे कर्मचारियों को भी डराया। पुनरुद्धार के बाद, इस स्टेशन ने अपनी पुरानी छवि को छोड़कर एक नई शुरुआत की है। फिर भी, इसके भूतिया इतिहास की कहानियाँ आज भी लोगों के बीच चर्चा का विषय हैं और यह स्टेशन भारत के सबसे रहस्यमय रेलवे स्टेशनों में से एक बना हुआ है।

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