डीयूएसयू 2024 चुनाव परिणाम:
दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के छात्र संघ चुनाव (DUSU Election) के परिणाम हाल ही में घोषित किए गए हैं। इस बार का चुनाव काफी दिलचस्प और नजदीकी रहा, जिसमें प्रमुख छात्र संगठन एनएसयूआई (नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया) और एबीवीपी (अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद) ने दो-दो पदों पर जीत दर्ज की। चुनाव परिणामों के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र संघ की सत्ता को लेकर दोनों पार्टियां समान स्थिति में दिख रही हैं।
चुनाव परिणामों में देरी का कारण:
चुनाव परिणामों की घोषणा में देरी हुई थी। इसका मुख्य कारण अदालत का आदेश था, जिसमें विश्वविद्यालय परिसर से पोस्टर, होर्डिंग्स और ग्रैफिटी जैसी सामग्री हटाने के लिए कहा गया था। यह आदेश विश्वविद्यालय परिसर में चुनाव प्रचार सामग्री की सफाई को लेकर था, ताकि चुनाव परिणामों की घोषणा बिना किसी विवाद के हो सके।
एनएसयूआई और एबीवीपी के बीच करीबी मुकाबला:
इस चुनाव में एनएसयूआई और एबीवीपी के बीच मुकाबला बेहद नजदीकी था। दोनों पार्टियों ने अपनी-अपनी रणनीतियों के साथ चुनावी मैदान में कदम रखा और अपनी ताकत दिखाते हुए दो-दो महत्वपूर्ण पदों पर जीत दर्ज की।
एनएसयूआई की जीत:
एनएसयूआई (नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया) ने अध्यक्ष और संयुक्त सचिव के पदों पर अपनी जीत दर्ज की। अध्यक्ष पद पर एनएसयूआई के उम्मीदवार रौनक खत्री ने जीत हासिल की। रौनक खत्री ने चुनाव में अपनी उम्मीदवार के तौर पर छात्रों के बीच अपनी मजबूत पकड़ बनाई और एबीवीपी के उम्मीदवार को कड़ी टक्कर दी। उनके द्वारा किए गए प्रचार, संवाद और छात्र हितों के मुद्दों ने उन्हें यह महत्वपूर्ण पद दिलाया।
इसके अलावा, संयुक्त सचिव के पद पर एनएसयूआई के लोकेश चौधरी ने जीत हासिल की। लोकेश चौधरी ने अपनी मेहनत और छात्रों के हितों के लिए किए गए कार्यों से छात्रों का विश्वास जीता और चुनावी मैदान में सफलता प्राप्त की।
DUSU छात्रसंघ चुनाव में लहराया NSUI का परचम!
अध्यक्ष पद पर रौनक खत्री एवं संयुक्त सचिव पद पर लोकेश चौधरी को अभूतपूर्व जीत के लिए हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं!@nsui pic.twitter.com/a3cIrZmRwT
एबीवीपी की जीत:
वहीं, एबीवीपी (अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद) ने उपाध्यक्ष और सचिव के पदों पर जीत दर्ज की। एबीवीपी की उम्मीदवार मित्रविंदा करनवाल ने सचिव पद पर विजय प्राप्त की। उनका चुनावी प्रचार और मुद्दों पर उनकी मजबूती ने उन्हें सचिव पद दिलाया।
इसके साथ ही, एबीवीपी के भानु प्रताप ने उपाध्यक्ष पद पर कब्जा किया। भानु प्रताप ने छात्रों के बीच अपनी पहचान बनाई और एक प्रभावी नेतृत्व के रूप में अपनी भूमिका निभाई, जिसके कारण उन्हें उपाध्यक्ष पद पर सफलता मिली।
चुनाव परिणामों का विश्लेषण:
इस चुनाव में परिणामों की घोषणा से पहले, दोनों पार्टियों के कार्यकर्ताओं के बीच काफी उत्साह था। चुनावी प्रचार के दौरान दोनों पक्षों ने अपने-अपने मुद्दों पर जोर दिया। एनएसयूआई ने छात्रों के हितों, सामाजिक मुद्दों और शिक्षा के अधिकार को प्रमुख मुद्दे के तौर पर उठाया, वहीं एबीवीपी ने राष्ट्रवाद, सुरक्षा और छात्र कल्याण के मुद्दे पर जोर दिया।
दोनों पार्टियों ने अपने-अपने उम्मीदवारों को प्रचारित करने के लिए पूरी ताकत झोंकी, जिसके कारण चुनाव परिणामों के समय तक यह स्पष्ट नहीं था कि किस पार्टी को अधिक सीटें मिलेंगी।
शेयरिंग पावर:
इस चुनाव का परिणाम यह दर्शाता है कि दोनों पार्टियों के बीच समानता बनी हुई है। एनएसयूआई ने अध्यक्ष और संयुक्त सचिव जैसे महत्वपूर्ण पदों पर जीत हासिल की, वहीं एबीवीपी ने उपाध्यक्ष और सचिव के पदों पर कब्जा किया। यह बंटवारा यह संकेत करता है कि दोनों पार्टियों का समर्थन समान रूप से फैला हुआ है और दोनों के बीच मुकाबला अब भी कड़ा है।
डीयूएसयू 2024 चुनावों में एनएसयूआई और एबीवीपी ने दोनों को जीत के बराबरी का मौका दिया है, जिससे छात्र राजनीति में आगे आने वाले दिनों में और अधिक दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल सकता है। यह चुनाव यह भी दर्शाता है कि छात्र संघ चुनावों में अब राजनीतिक रुझानों से परे मुद्दों को लेकर प्रचार किया जाता है और दोनों पार्टियां छात्रों के हितों के लिए काम करने का वादा करती हैं।
यह चुनाव उन छात्रों के लिए एक महत्वपूर्ण मौका था जो अपने अधिकारों को पहचानते हुए बेहतर और न्यायपूर्ण राजनीति की ओर अग्रसर हो सकते हैं। डीयूएसयू चुनाव परिणामों ने यह भी स्पष्ट किया है कि छात्र राजनीति अब और अधिक परिपक्व हो चुकी है और छात्र संगठन अब केवल एक राजनैतिक मंच नहीं, बल्कि छात्रों के विकास और उनके भविष्य को बेहतर बनाने के लिए कार्यरत हैं।