6 से 8 दिसंबर तक दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित होगा भव्य कार्यक्रम
भारत की विविधतापूर्ण संस्कृति और समृद्ध परंपराओं को दर्शाने वाला पहला अष्टलक्ष्मी महोत्सव 6 से 8 दिसंबर 2024 तक दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित किया जाएगा। यह कार्यक्रम विशेष रूप से पूर्वोत्तर क्षेत्र की कला, संस्कृति, शिल्प और आर्थिक क्षमताओं को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शित करने का अवसर प्रदान करेगा। इस आयोजन का उद्देश्य है ग्रामीण क्षेत्रों के कारीगरों और किसानों को वैश्विक बाजारों से जोड़ना और उनकी प्रतिभा को नई पहचान देना।
महोत्सव के प्रमुख आकर्षण
1. राज्य मंडप और ग्रामीण हाट
इस महोत्सव में प्रत्येक राज्य का अपना विशेष मंडप होगा, जहां आगंतुक वर्चुअल रियलिटी के माध्यम से पूर्वोत्तर के समृद्ध इतिहास और परंपराओं को अनुभव कर सकेंगे।
- 320 कारीगरों और किसानों की भागीदारी: हर राज्य से 40 कारीगर और किसान अपने उत्पादों को प्रदर्शित करेंगे।
- शिल्प और कृषि उत्पाद: पारंपरिक हथकरघा, हस्तशिल्प, फूलों की खेती और जैविक कृषि उत्पादों की बिक्री होगी।
- अनुमानित कारोबार: ग्रामीण हाट के माध्यम से 20 मिलियन रुपये और खरीदार-विक्रेता बैठकों से 10 मिलियन रुपये का व्यापार होने की उम्मीद है।
2. जीआई-टैग वाले उत्पाद और रेशम प्रदर्शनियां
- 33 जीआई-टैग वाले उत्पाद: इन उत्पादों की अनूठी प्रदर्शनी महोत्सव की खासियत होगी।
- मुगा और एरी सिल्क: इन पर आधारित विशेष प्रदर्शनियां, जिनमें 15 प्रसिद्ध डिजाइनरों द्वारा तैयार की गई कृतियां शामिल होंगी।
- यह पहल पूर्वोत्तर के "गोल्डन सिल्क" की वैश्विक अपील को बढ़ावा देने के लिए की गई है।
3. सांस्कृतिक कार्यक्रम और लाइव संगीत
- शिलांग चैंबर चोयर: यह प्रसिद्ध समूह तीन रातों तक लाइव प्रस्तुति देगा।
- पर्यावरण-अनुकूल फैशन शो: 20 प्रमुख डिजाइनरों द्वारा प्रस्तुत पारंपरिक और आधुनिक डिजाइनों का संगम।
4. तकनीकी सत्र और बैंकिंग शिखर सम्मेलन
- सतत विकास पर चर्चा: विशेषज्ञ पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए अनुकूलित विकास रणनीतियों पर चर्चा करेंगे।
- बैंकिंग बुनियादी ढांचा: इस क्षेत्र में वित्तीय सेवाओं को मजबूत करने और स्टार्टअप्स के लिए ऋण की पहुंच को आसान बनाने पर जोर दिया जाएगा।
प्रधानमंत्री करेंगे उद्घाटन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस भव्य महोत्सव का उद्घाटन करेंगे। इसमें आठों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ-साथ केंद्रीय मंत्री भी भाग लेंगे। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस आयोजन को पूर्वोत्तर की सांस्कृतिक धरोहर और आर्थिक ताकत को प्रदर्शित करने वाला महत्वपूर्ण कदम बताया।
आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभाव
यह आयोजन न केवल क्षेत्र के शिल्पकारों को बाजार तक पहुंच प्रदान करेगा, बल्कि उनकी आर्थिक स्थिति को भी मजबूत करेगा।
- ग्रामीण सशक्तिकरण: यह आयोजन परंपराओं और आधुनिकता के अद्वितीय संगम के माध्यम से आर्थिक सशक्तिकरण का प्रतीक बनेगा।
- पर्यटन को बढ़ावा: इस महोत्सव से पूर्वोत्तर क्षेत्र की वैश्विक पहचान बढ़ेगी और पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।
भविष्य की योजनाएं
- निवेशक शिखर सम्मेलन: अप्रैल-मई 2025 में दिल्ली में पूर्वोत्तर निवेशक शिखर सम्मेलन आयोजित होगा।
- रोड शो: 9,500 करोड़ रुपये के समझौतों पर हस्ताक्षर करने के लिए विभिन्न स्थानों पर रोड शो आयोजित किए जाएंगे।
- विदेशी बाजार: सरकार राज्यों के मुख्यमंत्रियों के लिए विदेशी रोड शो की भी सुविधा प्रदान करेगी।
अष्टलक्ष्मी महोत्सव न केवल पूर्वोत्तर की सांस्कृतिक धरोहर को उजागर करेगा, बल्कि आर्थिक समृद्धि के लिए एक मंच भी तैयार करेगा। यह आयोजन हर साल होने वाले महोत्सव के रूप में परिकल्पित है, जो "विकसित पूर्वोत्तर" को "विकसित भारत" के साथ जोड़ने का प्रयास करेगा।
इस आयोजन में भाग लेकर आप भी इस सांस्कृतिक उत्सव का हिस्सा बन सकते हैं और पूर्वोत्तर की अनूठी परंपराओं का अनुभव कर सकते हैं।