69000 शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थी अपनी मांगों के समर्थन में देर रात तक लखनऊ में धरने पर बैठे रहे। बारिश को देखते हुए, पुलिस ने सख्ती से कार्रवाई करते हुए सभी को बस के जरिए बादशाह नगर स्टेशन पहुंचाया, जहां अभ्यर्थियों ने रात बिताई। सुबह होते ही, सभी अभ्यर्थी फिर से धरनास्थल पर वापस आ गए और बारिश में भीगते हुए प्रदर्शन जारी रखा। अभ्यर्थियों की मांग है कि उन्हें शांतिपूर्ण धरना करने की अनुमति दी जाए।
कोर्ट ने शिक्षक भर्ती की मूल चयन सूची को रद्द करने का आदेश दिया है। सरकार को तीन महीने के अंदर आरक्षण नियमों का पालन करते हुए नई सूची जारी करने के निर्देश दिए गए हैं।
सरकारी नौकरियों में ओबीसी वर्ग की हिस्सेदारी बढ़ाई गई है। हालांकि, पूर्ववर्ती सरकार में सरकारी नौकरियों के आरक्षण में कई गड़बड़ियां हुई थीं। सरकार का दावा है कि 69000 शिक्षक भर्ती में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के 18000 से अधिक पदों पर भर्ती होनी थी, लेकिन इस वर्ग के 31000 से अधिक अभ्यर्थियों का चयन हुआ। इसमें 18598 अभ्यर्थी ओबीसी कोटे में और 12630 अभ्यर्थी अनारक्षित श्रेणी में चयनित हुए। अनुसूचित जाति (एससी) के लिए 14000 से अधिक पद आरक्षित थे, जिन पर एससी वर्ग के अभ्यर्थियों का चयन हुआ, और मेरिट के आधार पर 1600 से अधिक एससी अभ्यर्थियों का चयन अनारक्षित श्रेणी में भी हुआ। शेष 1100 से अधिक अनुसूचित जनजाति (एसटी) के खाली पदों को एससी अभ्यर्थियों से भरा गया। इस तरह, एससी के 17000 से अधिक अभ्यर्थियों का चयन किया गया। भर्ती में अनारक्षित श्रेणी के 34000 से अधिक पदों में से 20301 सामान्य श्रेणी, 12630 ओबीसी, 1637 एससी, और 21 एसटी के अभ्यर्थियों का चयन अनारक्षित श्रेणी में हुआ।