ओलंपिक मेडलिस्ट और कुश्ती के सुपरस्टार बजरंग पूनिया पर राष्ट्रीय एंटी डोपिंग एजेंसी (NADA) ने सख्त कार्रवाई करते हुए 4 साल का प्रतिबंध लगाया है। यह निर्णय एंटी डोपिंग कोड के उल्लंघन के चलते लिया गया है।
क्या हैं आरोप?
NADA का दावा है कि बजरंग पूनिया ने राष्ट्रीय टीम चयन ट्रायल्स के दौरान डोप टेस्ट के लिए सैंपल देने से इनकार कर दिया था। इसके चलते एजेंसी ने उन्हें अप्रैल 2024 में अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया था। हालांकि, बजरंग ने इस निलंबन के खिलाफ अपील की, जिसे मई में खारिज कर दिया गया। 23 जून को NADA ने उन्हें अंतिम नोटिस जारी करते हुए 4 साल का प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया।
भारतीय कुश्ती संघ का रुख
भारतीय कुश्ती संघ (WFI) के अध्यक्ष संजय सिंह ने NADA के इस फैसले को सही ठहराया। उन्होंने कहा,
"खेल में अनुशासन सर्वोपरि है। यदि कोई खिलाड़ी नियमों का पालन नहीं करता है, तो उस पर कार्रवाई होनी चाहिए।"
संजय सिंह ने यह भी स्पष्ट किया कि बजरंग पूनिया के बैन से भारतीय कुश्ती संघ पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि उनके भार वर्ग में 7-8 अन्य प्रतिभाशाली खिलाड़ी तैयार हैं।
राजनीति के आरोप और NADA का पक्ष
बजरंग पूनिया के प्रशंसकों और कुछ विशेषज्ञों ने इस प्रतिबंध को राजनीति से प्रेरित बताया। हालांकि, WFI अध्यक्ष ने इसे खारिज करते हुए कहा,
"डोपिंग के मामलों में राजनीति का कोई स्थान नहीं है। यदि बजरंग ने गलत काम नहीं किया होता, तो उन्हें सैंपल देने से क्यों डरना चाहिए था? हजारों खिलाड़ी हर साल डोप टेस्ट देते हैं, यह खेल के लिए अनिवार्य है।"
NADA ने भी अपने बयान में कहा कि यह कार्रवाई पूरी तरह से उनके नियमों और प्रक्रियाओं के तहत हुई है।
बजरंग पूनिया का बचाव और विवाद
बजरंग पूनिया ने अपने ऊपर लगे आरोपों को बेबुनियाद बताया है। उन्होंने कहा कि वह किसी भी तरह के डोपिंग में शामिल नहीं रहे हैं और उन्हें जानबूझकर फंसाया जा रहा है।
उनके अनुसार, "मैं हमेशा साफ-सुथरे खेल में विश्वास करता हूं। यह प्रतिबंध मेरे खिलाफ एक साजिश है।"
हालांकि, NADA ने उनके दावों को खारिज करते हुए कहा कि डोप टेस्ट में सहयोग न करना अपने आप में एक गंभीर अपराध है।
डोपिंग के मामलों में NADA का रुख
राष्ट्रीय एंटी डोपिंग एजेंसी (NADA) भारतीय खेलों में निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए कड़ा रुख अपनाती है। डोपिंग के मामलों में उनकी नीति जीरो टॉलरेंस की रही है।
2019 से 2023 तक NADA ने 200 से अधिक खिलाड़ियों पर डोपिंग उल्लंघन के तहत प्रतिबंध लगाए हैं। बजरंग पूनिया जैसे बड़े नाम पर कार्रवाई NADA की इस नीति को और मजबूत बनाती है।
बजरंग का बैन और भारतीय कुश्ती पर प्रभाव
बजरंग पूनिया का प्रतिबंध भारतीय कुश्ती के लिए एक बड़ा झटका है। वह न केवल ओलंपिक पदक विजेता हैं, बल्कि युवाओं के लिए प्रेरणा भी हैं। हालांकि, WFI का मानना है कि यह फैसला आने वाले खिलाड़ियों के लिए एक कड़ा संदेश है।
संजय सिंह ने कहा, "बजरंग पूनिया के बिना भी भारतीय कुश्ती संघ मजबूत रहेगा। हमारे पास उनके भार वर्ग में कई अन्य प्रतिभाशाली खिलाड़ी हैं जो देश का नाम रोशन कर सकते हैं।"
अनुशासन बनाम राजनीति
बजरंग पूनिया का मामला खेल में अनुशासन और राजनीति के बीच की बहस को फिर से हवा देता है। कुछ विशेषज्ञ इसे NADA का सख्त कदम मानते हैं, जबकि अन्य इसे खिलाड़ियों के अधिकारों का हनन कहते हैं।
खेल विशेषज्ञों की राय:
- समर्थन में: "NADA का यह कदम सही है। डोपिंग के खिलाफ कड़ा रुख खिलाड़ियों को साफ-सुथरे खेल के लिए प्रेरित करेगा।"
- विरोध में: "बजरंग जैसे खिलाड़ी को बिना ठोस सबूत के प्रतिबंधित करना अनुचित है। यह खेल के माहौल को खराब कर सकता है।"
डोपिंग के खिलाफ कड़ा संदेश
NADA का यह कदम भारतीय खेलों में डोपिंग के खिलाफ एक कड़ा संदेश है। खिलाड़ियों के लिए यह आवश्यक है कि वे सभी नियमों और प्रक्रियाओं का पालन करें। अनुशासन न केवल खेल में सफलता दिलाता है, बल्कि खेल की गरिमा को भी बनाए रखता है।
बजरंग पूनिया पर लगा 4 साल का प्रतिबंध भारतीय कुश्ती के लिए एक अहम मोड़ साबित हो सकता है। यह मामला न केवल खिलाड़ियों को अनुशासन का महत्व सिखाएगा, बल्कि डोपिंग जैसे गंभीर मुद्दों पर भी ध्यान केंद्रित करेगा।
भविष्य में भारतीय खेल संस्थानों के लिए यह जरूरी होगा कि वे खिलाड़ियों को नियमों और प्रक्रियाओं के प्रति जागरूक बनाएं, ताकि ऐसे विवादों से बचा जा सके।
अब सवाल यह है: क्या बजरंग पूनिया इस प्रतिबंध के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगे, या यह मामला यहीं समाप्त होगा?