अयोध्या के शिक्षा विभाग में घूसखोरी का एक मामला सामने आया है, जहां सहायक लेखाकार अमरेन्द्र प्रताप सिंह को विजिलेंस टीम ने एक लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया। यह घटना तब सामने आई जब मसौधा ब्लॉक के कम्पोजिट विद्यालय भदोखर की प्रधानाध्यापिका यासमीन फातिमा की मौत के बाद, उनके पति को उनकी जीपीएफ (जनरल प्रोविडेंट फंड) की राशि निकालने में दिक्कत हो रही थी।
मामले की शुरुआत
प्रधानाध्यापिका यासमीन फातिमा के निधन के बाद, उनका परिवार आर्थिक संकट में आ गया। उनके पति, मो. इरफानुल हक, जो स्व. सिराजुल हक के पुत्र हैं, ने अपनी पत्नी की जीपीएफ राशि निकालने के लिए शिक्षा विभाग से संपर्क किया। वह कई बार कार्यालय के चक्कर लगाते रहे, लेकिन उनका काम नहीं हो रहा था।
रिश्वत की मांग
मो. इरफानुल हक की समस्याओं को देखते हुए, कार्यालय में तैनात सहायक लेखाकार अमरेन्द्र प्रताप सिंह ने उनसे जीपीएफ की राशि जारी करने के लिए एक लाख रुपये की रिश्वत की मांग की। इरफानुल हक को यह सुनकर बहुत धक्का लगा और उन्होंने इस मामले की शिकायत करने का फैसला किया।
विजिलेंस टीम की योजना
मो. इरफानुल हक ने विजिलेंस (सतर्कता अधिष्ठान) अयोध्या में सहायक लेखाकार की शिकायत की। विजिलेंस टीम ने इस मामले की गहराई से जांच शुरू की और घूसखोर सहायक लेखाकार पर निगरानी रखी। इरफानुल हक ने विजिलेंस टीम की मदद से अमरेन्द्र प्रताप सिंह को एक लाख रुपये देने का नाटक किया, ताकि उसे रंगे हाथों पकड़ा जा सके।
गिरफ्तारी
जैसे ही अमरेन्द्र प्रताप सिंह ने मो. इरफानुल हक से रिश्वत के पैसे लिए, विजिलेंस टीम ने उसे मौके पर ही गिरफ्तार कर लिया। सहायक लेखाकार को एक लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ने के बाद, उसे तुरंत हिरासत में ले लिया गया।
अयोध्या में खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय मसौधा में तैनात सहायक लेखाकार अमरेंद्र प्रताप सिंह को विजिलेंस की टीम ने एक लाख रुपये रंगे हाथ रिश्वत लेते गिरफ्तार किया
बेसिक शिक्षक कार्यालय गेट के पास से किया गिरफ्तार pic.twitter.com/duBv4tOdzj
कानूनी कार्रवाई
गिरफ्तारी के बाद विजिलेंस टीम ने अमरेन्द्र प्रताप सिंह के खिलाफ कानूनी प्रक्रिया शुरू कर दी। शिक्षा विभाग के इस भ्रष्टाचार ने विभाग के भीतर फैली अव्यवस्थाओं को उजागर किया है, जिससे विभाग के अन्य कर्मचारियों और अधिकारियों में भी हड़कंप मच गया है।यह घटना दिखाती है कि कैसे शिक्षा विभाग में कुछ अधिकारी अपने पद का दुरुपयोग कर रहे हैं। हालांकि, विजिलेंस टीम की त्वरित कार्रवाई ने यह साबित किया कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई जारी है और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। उम्मीद है कि ऐसे मामलों से शिक्षा विभाग में पारदर्शिता और ईमानदारी को बढ़ावा मिलेगा।