सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने गुरुवार को कहा कि चीन के साथ समझौते के बाद पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील क्षेत्र से सैनिकों के हटने के बाद भारत के लिए खतरा केवल कम हुआ है, यह खत्म नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि यह कहना गलत होगा कि चीनी सैनिक पूर्वी लद्दाख में उन क्षेत्रों में अब भी बैठे हैं जो पिछले साल मई में गतिरोध शुरू होने से पहले भारत के नियंत्रण में थे।
पर्वतीय क्षेत्र की स्थिति का संदर्भ देते हुए नरवणे ने ‘इंडिया इकोनॉमिक कांक्लेव’ में कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पीछे के क्षेत्रों में सैन्य शक्ति उसी तरह बरकरार है जिस तरह यह सीमा पर तनाव के चरम पर पहुंचने के समय थी।
यह पूछे जाने पर कि क्या वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उस टिप्पणी से सहमत हैं जिसमें उन्होंने कहा था कि चीनी भारत के नियंत्रण वाले क्षेत्र में नहीं आए। इस पर नरवणे ने हां में जवाब दिया। उन्होंने कहा कि ऐसे कई क्षेत्र हैं जो किसी के नियंत्रण में नहीं हैं। इसलिए जहां हम नियंत्रण कर रहे हैं, हम उन क्षेत्रों में थे और जहां वे (चीनी) नियंत्रण कर रहे हैं, वे उन क्षेत्रों में थे।
तनाव बरकरार: नरवणे ने कहा कि क्षेत्र में गश्त शुरू नहीं हुई है, क्योंकि तनाव अभी काफी है और टकराव की स्थिति हमेशा रहती है। उन्होंने कहा कि अभी कुछ क्षेत्र हैं जहां हमें चर्चा करनी है।
कट्टरपंथ दूर करने जैसा कोई शिविर नहीं: थलसेना अध्यक्ष जनरल एम एम नरवणे ने गुरुवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर में कट्टरपंथ दूर करने जैसा किसी तरह का कोई शिविर नहीं है। सरकार का उद्देश्य केंद्रशासित प्रदेश के युवाओं के लिए शिक्षा तथा रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने का है। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में स्थिति में महत्वपूर्ण रूप से सुधार हुआ है।
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