लद्दाख गतिरोध पर सेना प्रमुख बोलें- ‘महत्वपूर्ण इलाकों पर हमारा नियंत्रण, किसी भी स्थिति से निपटने के लिए ‘रिजर्व’ रखे हैं जवान’

भारत के सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने चीन को स्पष्ट संदेश देते हुए कहा है कि पूर्वी लद्दाख में टकराव वाली सभी जगहों से पूरी तरह से सैनिकों की वापसी के बिना तनाव खत्म नहीं हो सकता। उन्होंने कहा, भारतीय सेना क्षेत्र में हर तरह की विपरीत परिस्थितियों से निपटने के लिए तैयार है।

जनरल नरवणे ने एक समाचार एजेंसी को दिए साक्षात्कार में कहा, भारतीय सेना इसको लेकर बहुत स्पष्ट है कि यथास्थिति में एकतरफा बदलाव नहीं करने दिया जाएगा। भारत पूर्वी लद्दाख में अपने दावों की पवित्रता सुनिश्चित करने के लिए दृढ़ता से और बिना तनाव बढ़ाए चीन के साथ व्यवहार कर रहा है। भारत ने इसके लिए विश्वास बहाली के उपायों को शुरू करने के रास्ते भी खुले रखे हैं।

उन्होंने कहा, पिछले साल पांच मई के बाद से सैन्य गतिरोध के एक वर्ष से ज्यादा हो रहे हैं, जिसमें 45 साल में पहली बार दोनों ओर के लोगों की जान गई थी। हालांकि, तब से अब तक सीमित प्रगति हुई, जिसमें सिर्फ पैंगोंग झील से ही सैनिकों की वापसी हो पाई। बाकी जगहों पर हालात जस के तस हैं।

जनरल नरवणे ने कहा, भारतीय सेना फिलहाल ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सभी महत्वपूर्ण जगहों पर अपनी पकड़ बनाए हुए है और किसी भी विपरीत परिस्थिति का जवाब देने के लिए पर्याप्त संख्या में सैनिकों को रिजर्व में तैयार रखा गया है।

अगली वार्ता में अप्रैल, 2020 से पहले की यथास्थिति पर जोर
सेना प्रमुख ने कहा, चीन के साथ लद्दाख गतिरोध पर अगले दौर की वार्ता में अप्रैल 2020 से पहले की यथास्थिति बहाल करने पर जोर रहेगा। जनरल नरवणे से जब पूछा गया कि हॉट स्प्रिंग्स, गोगरा और डेपसांग जैसे इलाकों में गतिरोध कब तक सुलझ सकता है, तो उन्होंने कहा, इसकी निश्चित समयसीमा बताना कठिन है।

सीमा समझौतों का चीन की सेना ने किया एकतरफा उल्लंघन
जनरल नरवणे ने कहा, भारत और चीन ने बड़ी संख्या में सीमा समझौते किए हैं, जिनका चीन की सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने एकतरफा उल्लंघन किया है।

उन्होंने कहा, हालांकि हम वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति और स्थिरता चाहते हैं और विश्वास बहाली के कदमों के लिए तैयार हैं, लेकिन हम सभी आपात स्थितियों के लिए भी तैयार हैं। ऐसे में जरूरी है कि हम जल्द से जल्द विश्वास बहाल कर स्थिति को सुलझा लें।

पीएलए के 1000 किमी दूर प्रशिक्षण क्षेत्रों तक रखते हैं नजर
बीते साल गलवां घाटी में हुई खूनी झड़प को लेकर सेना प्रमुख ने कहा, भारतीय सेना दो देशों के बीच हुए समझौतों और सभी प्रोटोकॉल का पालन करती है, जबकि पीएलए साजोसामान और बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती कर इलाकों में तनाव बढ़ा देता है।

उन्होंने कहा, पीएलए के प्रशिक्षण वाले इलाके एलएसी से करीब 1,000 किमी की दूरी पर स्थित है। इसकी भी निगरानी की जा रही है। एलएसी के संवेदनशील क्षेत्रों में दोनों ओर करीब 50 से 60 हजार सैनिक तैनात हैं।

Khushi Sonker

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