नोबेल शांति पुरस्कार जीतने वाले दक्षिण अफ्रीका के आर्चबिशप रह चुके डेसमंड टूटू का रविवार को 90 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उन्हें दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद विरोधी प्रतीक के रूप में जाना जाता है। इतना ही नहीं टूटू को देश का नैतिक कम्पास भी कहा जाता है। टूटू के निधन पर दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा ने दुख जताया है। राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा ने रविवार को टूटू के निधन की जानकारी देते हुए कहा कि आर्चबिशप एमेरिटस डेसमंड टूटू का निधन दक्षिण अफ्रीका की एक बहादूर पीढ़ी की समाप्ति है जिन्होंने रंगभेद के खिलाफ संघर्ष कर हमें एक नया दक्षिण अफ्रीकी दिया। बता दें कि डेसमंड टूटू को भारत में भी गांधी शांति पुरस्कार से नवाजा जा चुका है।
वहीं दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा ने आर्चबिशप के निधन पर शोक जताते हुए कहा, “आर्चबिशप एमेरिटस डेसमंड टूटू का निधन दक्षिण अफ्रीका की एक बहादूर पीढ़ी का अंत है जिन्होंने रंगभेद के खिलाफ संघर्ष कर हमें एक नया दक्षिण अफ्रीका दिया है.” रामफोसा ने कहा, “उन्होंने खुद को एक गैर-सांप्रदायिक, मानवाधिकारों के यूनिवर्सल चैंपियन के रूप में प्रतिष्ठित किया है.” हालांकि राष्ट्रपति ने डेसमंड टूटू के मौत के कारणों के बारे में कोई जानकारी नहीं दी.
पीएम मोदी ने भी जताया शोक
डेसमंड टूटू के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी गहरा दुख जताया है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि टूटू विश्व स्तर पर अनगिनत लोगों के लिए एक मार्गदर्शक थे। मानवीय गरिमा और समानता पर उनका जोर हमेशा याद किया जाएगा।
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