उत्तर प्रदेश

अपर्णा बिष्ट यादव ने बीजेपी में शामिल होने के बाद ससुर मुलायम सिंह यादव का लिया आशीर्वाद

भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता लेने के बाद अपर्णा अपने ससुर मुलायम सिंह यादव का आशीर्वाद लेने पहुंची। उनके पैर छुए और मुलायम ने अपनी छोटी बहू को आशीर्वाद दिया। नेताजी ने क्या कहा, ये तो अपर्णा ने नहीं बताया। उन्होंने सिर्फ इतना लिखा है – भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता लेने के पश्चात लखनऊ आने पर पिताजी/नेताजी से आशीर्वाद लिया। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से ठीक पहले ये तस्वीर क्या असर दिखा सकती है उसकी बानगी तो यूजर्स के रिएक्शन से ही साफ है। जो दिखता है वही बिकता है। ये आपने-हमने सुना भी है। तो मुलायम से आशीर्वाद लेती तस्वीर को सार्वजनिक कर अपर्णा यादव ने ये बता दिया है कि समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव उनके साथ हैं। ये सपा वोटर्स को कन्फ्यूज करने के लिए काफी है। हालांकि अखिलेश यादव ने अपर्णा के जाने पर पत्रकारों से कहा था कि नेताजी ने बहुत समझाने की कोशिश की पर वो नहीं मानी।

अखिलेश यादव ने ये कहकर रफा दफा किया कि .. अच्छा है समाजवादी विचारधारा का प्रसार हो रहा है। अब ये तस्वीर किस विचारधारा का प्रचार करेगी। ये भी सोच लीजिए। समाजवादी पार्टी के मुखिया भारतीय जनता पार्टी के संभावित उम्मीदवार और अपनी बहू को आशीर्वाद दे रहे हैं। निश्चित तौर पर सैफई से सहारनपुर तक यही मैसेज जाएगा। खासकर यादव वोट बैंक पर इसका असर पड़ना लाजिमी है। अपर्णा भले परिवार पर चुप हैं लेकिन प्रमोद गुप्ता बहुत कुछ कह चुके हैं। और परिवार जिस संकट से 2017 से पहले गुजरा है उसमें शिवपाल यादव, अखिलेश यादव और मुलायम सिंह यादव ने एक दूसरे का साथ जो किया वो बहुत पुराना नहीं हुआ है। यही अखिलेश अपने पिता मुलायम सिंह यादव को पार्टी से बाहर कर चुके हैं। और मुलायम कई मौकों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ कर चुके हैं।

हाल ही में जब राष्ट्रयी स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत के साथ उनकी तस्वीर आई तो भी कहानियां बनी। कई बार ऐतिहासिक कड़वाहटें वक्त को दवा बना दब भी जाती हैं। मुलायम और संघ के साथ भी ऐसा ही है। इसलिए सरसंघचालक की समाजवादी पार्टी के नेता से मुलाकात कोई ऐतिहासिक घटना नहीं थी। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ऑन रिकॉर्ड मुलायक की तारीफ कर चुका है। आज नहीं बल्कि कारसेवकों पर फायरिंग के 10 साल बाद ही जब नेताजी फिर से यूपी के सीएम की कुर्सी पर काबिज थे। बात 2003 की है जब मायावती की पार्टी फोड़ मुलायम सीएम बने थे। तब संघ ने हिंदी और स्वदेशी को बढ़ावा देने के लिए मुलायम सिंह यादव की जमकर तारीफ की थी।

Aman Yadav

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