14 Aug 2024
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सूत्रों का मानना है कि खालिदा जिया बन सकती हैं बांग्लादेश की नई प्रधानमंत्री

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बांग्लादेश की राजनीति में हाल ही में काफी उथल-पुथल देखने को मिली है। प्रधानमंत्री शेख हसीना ने हाल ही में अपने पद से इस्तीफा दे दिया है, जिससे देश में राजनीतिक अस्थिरता और उथल-पुथल मची हुई है। राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने शेख हसीना का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है और खालिदा जिया को रिहा करने के साथ ही एक अंतरिम सरकार का गठन करने की घोषणा की है। इस राजनीतिक माहौल में सूत्रों का मानना है कि खालिदा जिया, जो बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री रह चुकी हैं, एक बार फिर देश की प्रधानमंत्री बन सकती हैं।

खालिदा जिया का परिचय

खालिदा जिया का जन्म 15 अगस्त 1945 को जलपाईगुड़ी, बंगाल में हुआ था। उनके पति जियाउर रहमान बांग्लादेश के राष्ट्रपति रह चुके हैं। खालिदा जिया ने अपने पति की हत्या के बाद राजनीति में कदम रखा और 1978 में बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की स्थापना की। यह पार्टी बांग्लादेश की राजनीति में एक महत्वपूर्ण शक्ति बन गई।

1991 में, खालिदा जिया ने बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। उनके कार्यकाल में कई आर्थिक और सामाजिक सुधार किए गए, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे। 2001 से 2006 तक उन्होंने अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान भी प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारी निभाई।

भ्रष्टाचार के आरोप और जेल

खालिदा जिया के दूसरे कार्यकाल के दौरान उनकी सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे। 2007 में, एक अंतरिम सरकार ने उनकी सरकार को अस्थिर कर दिया और भ्रष्टाचार के आरोप में खालिदा जिया और उनके बेटों को जेल में डाल दिया गया। 2018 में, भ्रष्टाचार के एक मामले में उन्हें 17 साल की सजा सुनाई गई। स्वास्थ्य समस्याओं के कारण, खालिदा जिया कई बार चिकित्सा देखभाल के लिए विदेश भी गई हैं।

बांग्लादेश की राजनीतिक अस्थिरता

हाल ही में, बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता का माहौल देखा गया है। प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्तीफा दे दिया है, जिससे देश में उथल-पुथल मची हुई है। राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने शेख हसीना का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है और खालिदा जिया को रिहा करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही, उन्होंने एक अंतरिम सरकार का गठन करने की घोषणा की है।

खालिदा जिया की वापसी और भारत पर प्रभाव

खालिदा जिया की संभावित वापसी से भारत-बांग्लादेश संबंधों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है। खालिदा जिया के शासनकाल के दौरान बांग्लादेश और भारत के बीच कई तनावपूर्ण मुद्दे रहे हैं। खालिदा जिया का पाकिस्तान और चीन के प्रति झुकाव और उनकी पार्टी बीएनपी में कट्टरपंथियों का प्रभाव भारत के लिए चिंता का विषय रहा है।

पाकिस्तान और चीन के प्रति झुकाव

खालिदा जिया के शासनकाल में बांग्लादेश ने पाकिस्तान और चीन के साथ करीबी संबंध बनाए। उनकी पार्टी बीएनपी ने कट्टरपंथी समूहों के साथ मिलकर काम किया, जो भारत के लिए एक प्रमुख समस्या थी। यदि खालिदा जिया प्रधानमंत्री बनती हैं, तो यह स्थिति फिर से उत्पन्न हो सकती है, जो भारत के लिए चिंता का विषय हो सकता है।

बीएनपी और कट्टरपंथी प्रभाव

बीएनपी की राजनीति में कट्टरपंथियों का प्रभाव भी भारत के लिए एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय रहा है। खालिदा जिया की पार्टी के साथ कट्टरपंथी समूहों के संबंध भारत की सुरक्षा और स्थिरता पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं। उनकी वापसी से बांग्लादेश में कट्टरपंथी तत्वों को प्रोत्साहन मिल सकता है, जो भारत के लिए एक चुनौती हो सकती है।

बांग्लादेश की राजनीतिक स्थिरता और बदलाव

खालिदा जिया की संभावित वापसी बांग्लादेश की राजनीति में बड़ा बदलाव ला सकती है। उनके प्रधानमंत्री बनने की स्थिति में, बांग्लादेश की राजनीतिक गतिशीलता में एक नई दिशा आ सकती है। बांग्लादेश की राजनीति में स्थिरता लाने के लिए विभिन्न दलों को मिलकर काम करना होगा, ताकि देश में समग्र विकास और सामाजिक न्याय सुनिश्चित हो सके।

भारत और बांग्लादेश के संबंध

भारत और बांग्लादेश के बीच संबंधों में उतार-चढ़ाव का इतिहास रहा है। खालिदा जिया के प्रधानमंत्री बनने से इन संबंधों में एक नया मोड़ आ सकता है। भारत को बांग्लादेश के साथ अपने संबंधों को सुलझाने के लिए एक संतुलित और समझदारी भरी नीति अपनानी होगी। दोनों देशों के बीच संवाद और सहयोग से ही भविष्य में अच्छे संबंध बनाए रखे जा सकते हैं।

खालिदा जिया की वापसी से बांग्लादेश की राजनीति में एक नया अध्याय शुरू हो सकता है। उनकी प्रधानमंत्री बनने की संभावनाओं से बांग्लादेश में राजनीतिक स्थिरता और बदलाव की दिशा स्पष्ट हो सकती है। भारत और बांग्लादेश के बीच संबंधों की दिशा को देखते हुए, दोनों देशों को समझदारी और सहयोग के साथ आगे बढ़ना होगा। खालिदा जिया की वापसी और उनके प्रधानमंत्री बनने की स्थिति में, बांग्लादेश और भारत के बीच संबंधों पर नजर रखना महत्वपूर्ण होगा, ताकि दोनों देशों के हितों की रक्षा की जा सके और क्षेत्रीय स्थिरता सुनिश्चित की जा सके।

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