14 Aug 2024
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J&K Assembly Elections: कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस के बीच गठबंधन, 85 सीटों पर बनी सहमति

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जम्मू-कश्मीर में होने वाले विधानसभा चुनाव 2024 के लिए कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस के बीच गठबंधन का ऐलान 23 अगस्त को हुआ था। इस गठबंधन का मुख्य उद्देश्य राज्य में बीजेपी के खिलाफ मिलकर चुनाव लड़ना है। अब दोनों पार्टियों के बीच सीटों के बंटवारे पर भी सहमति बन गई है, जिससे यह गठबंधन और मजबूत हो गया है। इस गठबंधन के तहत 90 विधानसभा सीटों में से 85 सीटों पर दोनों पार्टियां साझा उम्मीदवार उतारेंगी, जबकि 5 सीटों पर दोनों के बीच फ्रेंडली फाइट होगी।

85 सीटों पर बनी सहमति

गठबंधन के तहत 90 विधानसभा सीटों में से 85 सीटों पर कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस के बीच सीट शेयरिंग का समझौता हुआ है। इसमें नेशनल कांफ्रेंस 51 सीटों पर और कांग्रेस 32 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। इसके अलावा, 2 सीटों पर CPI (M) और पैंथर्स पार्टी के उम्मीदवार चुनाव लड़ेंगे। हालांकि, 5 सीटों पर दोनों पार्टियों के बीच सहमति नहीं बन पाई है, और यहां फ्रेंडली फाइट होगी। इसका मतलब है कि इन 5 सीटों पर कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस दोनों के उम्मीदवार मैदान में उतरेंगे, लेकिन उनके बीच कोई कड़ा संघर्ष नहीं होगा।

फारूख अब्दुल्ला के घर पर कांग्रेस नेताओं की बैठक

इस गठबंधन को अंतिम रूप देने के लिए 21 अगस्त को कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस के प्रमुख नेताओं की एक महत्वपूर्ण बैठक श्रीनगर में आयोजित की गई। इस बैठक में कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष हामीद कर्रा, और वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने नेशनल कांफ्रेंस प्रमुख फारूख अब्दुल्ला के घर पर मुलाकात की। इस बैठक में गठबंधन के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई और सीटों के बंटवारे पर सहमति बनाई गई।

बैठक के बाद, कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा, “हमारा मुख्य उद्देश्य बीजेपी द्वारा जम्मू-कश्मीर की आत्मा को नष्ट करने के प्रयासों को रोकना है। इस गठबंधन के माध्यम से हम उन ताकतों के खिलाफ लड़ेंगे जो राज्य के लोगों को बांटने की कोशिश कर रही हैं।” फारूख अब्दुल्ला ने भी इस बैठक में कहा, “हम सभी मिलकर उन ताकतों के खिलाफ संघर्ष करेंगे जो जम्मू-कश्मीर की एकता और अखंडता को खतरे में डालने की कोशिश कर रही हैं।”

गठबंधन का मकसद

कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस का यह गठबंधन जम्मू-कश्मीर में बीजेपी के खिलाफ एक मजबूत मोर्चा बनाना चाहता है। दोनों पार्टियों का मानना है कि राज्य की स्वायत्तता और विशेष दर्जा को बहाल करना उनकी प्राथमिकता है। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी ने राज्य की विशेष स्थिति को कमजोर करने की कोशिश की है और यहां के लोगों के अधिकारों का हनन किया है। इस गठबंधन का उद्देश्य राज्य में एक स्थिर और विकासोन्मुखी सरकार बनाना है, जो सभी वर्गों के लोगों की आवाज़ को सुने और उनके अधिकारों की रक्षा करे।

गठबंधन की चुनावी रणनीति

कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस का गठबंधन राज्य के सभी हिस्सों में एक व्यापक चुनावी रणनीति पर काम कर रहा है। दोनों पार्टियों के प्रमुख नेता राज्य के विभिन्न हिस्सों में जाकर चुनाव प्रचार करेंगे और जनता से संपर्क साधेंगे। इस गठबंधन का फोकस मुख्य रूप से ग्रामीण इलाकों, पिछड़े वर्गों और युवाओं पर होगा, जिन्हें बीजेपी की नीतियों से निराशा हाथ लगी है।

इसके साथ ही, गठबंधन का जोर धार्मिक सौहार्द और सांप्रदायिक सद्भाव को बनाए रखने पर होगा। वे राज्य की बहुलता और विविधता को बनाए रखने के लिए एकजुट होकर काम करेंगे। गठबंधन के नेता राज्य में शांति और स्थिरता की बहाली को अपनी प्राथमिकता बनाएंगे, जिससे यहां के लोगों का विश्वास फिर से बहाल हो सके।

बीजेपी के खिलाफ एकजुटता

यह गठबंधन बीजेपी के खिलाफ एकजुटता का प्रतीक है। दोनों पार्टियां मानती हैं कि राज्य की पहचान और उसकी सांस्कृतिक धरोहर को बचाना उनकी जिम्मेदारी है। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य में होने वाले चुनावों में बीजेपी की विभाजनकारी नीतियों के खिलाफ मिलकर लड़ने का यह सबसे उपयुक्त समय है। गठबंधन का लक्ष्य राज्य में एक ऐसा माहौल बनाना है जहां सभी वर्गों के लोग शांति और विकास के साथ आगे बढ़ सकें।

फ्रेंडली फाइट का महत्व

गठबंधन के तहत 5 सीटों पर होने वाली फ्रेंडली फाइट का भी अपना महत्व है। यह सीटें ऐसे क्षेत्रों में हैं जहां दोनों पार्टियों का जनाधार मजबूत है। इसलिए, इन सीटों पर दोनों पार्टियों ने एक-दूसरे के खिलाफ उम्मीदवार उतारने का फैसला किया है। हालांकि, यह लड़ाई आपसी सम्मान और सौहार्द के साथ होगी, ताकि चुनाव के बाद दोनों पार्टियां एकजुट होकर राज्य की सेवा कर सकें।

आगे की राह

कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस के इस गठबंधन को लेकर राज्य की जनता में भी उत्सुकता है। यह गठबंधन राज्य के राजनीतिक परिदृश्य में एक बड़ा बदलाव ला सकता है। अब सभी की निगाहें आने वाले चुनावों पर टिकी हैं, जहां यह देखा जाएगा कि यह गठबंधन बीजेपी के खिलाफ कितना प्रभावी साबित होता है।

जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव 2024 के नतीजे राज्य के भविष्य की दिशा को तय करेंगे। इस गठबंधन की सफलता या असफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि यह कितनी मजबूती से बीजेपी के खिलाफ अपनी लड़ाई को आगे बढ़ा पाता है और राज्य के लोगों का समर्थन हासिल कर पाता है।

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