अखिलेश यादव का भाजपा पर तंज कहा- खुशी दुबे की जमानत भाजपा के अन्याय की करारी हार..

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उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के मारे गए गैंगेस्टर विकास दुबे के करीबी सहयोगी अमर दुबे की पत्नी खुशी दुबे को बुधवार को जमानत दे दी आपको बता दें कि यह मामला जुलाई 2020 में कानपुर के गांव में विकास दुबे को गिरफ्तार करने गए आठ पुलिसकर्मियों की हत्या से संबंधित है वहीं दूसरी तरफ खुशी दुबे को जमानत मिलने के बाद सुबह में राजनीति तेज हो गई है खुशी दुबे की जमानत पर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी पर हमला बोला है

भाजपा के अन्याय और नारी उत्पीड़न के दुष्प्रभाव की करारी हार
दरअसल अखिलेश यादव ने कहा खुशी दुबे की जमानत भाजपा के अन्याय और नारी उत्पीड़न के दुष्प्रभाव की करारी हार है भाजपा याद रखें अनंत जीत न्याय की ही होती है अहंकार की नहीं दरअसल प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पीठ ने दलिया की खुशी के समय नाबालिक थी और उसे नियत जमानत दी जानी चाहिए क्योंकि मामले में आरोपपत्र भी दायर किया जा चुका है खुशी दुबे का पति अमर बाद में पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था खुशी का आरोप है कि उसने विकास दुबे को गिरफ्तार करने गए पुलिसकर्मियों की मौजूदगी के बारे में सह आरोपियों को बताया था पुलिसकर्मियों की मौजूदगी का पता चलने के कारण ही कथित तौर पर पुलिस वालों की जान गई उस पर गैंगस्टर विकास दुबे के सशस्त्र सहयोगी यों को पुलिसकर्मियों को मारने के लिए उकसाने का भी आरोप है वही खुशी दुबे के वकील तनख्वाह ने शीर्ष अदालत को बताया कि मामले में 100 से अधिक गवाहों की गवाही होनी है और उसके खिलाफ आरोपों को ध्यान में रखते हुए जमानत देने के लिए यह एक उपयुक्त मामला है न्यायालय ने इस तथ्य पर ध्यान दिया कि अपराध के समय आरोपी की उम्र 16 या 17 वर्ष थी पीठ ने यह कहते हुए जमानत दे दी कि निचली अदालत उसकी रिहाई के लिए शर्तें तय करेगी

फिलहाल पीठ ने कहा कि जमानत के लिए शर्त यह होगी कि आरोपी को सप्ताह में एक बार संबंधित थाने के थानाध्यक्ष के समक्ष पेश होना होगा और साथ ही सुनवाई व जांच में सहयोग करना होगा शीर्ष अदालत 2021 में खुशी दुबे की जमानत याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हो गई थी

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