अखिलेश यादव ‘विधायकी’ छोड़ें या ‘सांसदी’ की दुविधा से बाहर आ गए हैं। उन्होंने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से विचार-विमर्श के बाद मंगलवार को सपा मुखिया ने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने का फैसला ले लिया। पार्टी नेता अनुराग भदौरिया ने एक निजी चैनल से बातचीत में कहा कि अखिलेश यादव को लगा कि यूपी की जनता के अधिकारों की रक्षा के लिए उनका विधानसभा में रहना जरूरी है इसीलिए उन्होंने यह फैसला लिया है।
मंगलवार की दोपहर अखिलेश यादव ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मिलकर उन्हें अपना इस्तीफा सौंपा। उनके साथ पार्टी नेता रामगोपाल यादव भी मौजूद रहे। 2019 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव आजमगढ़ सीट से सांसद चुने गए थे। कल अखिलेश ने आजमगढ़ के विधायकों और पार्टी नेताओं से बातचीत की थी। इसके पहले वह करहल विधानसभा क्षेत्र में भी गए थे। वहां के नेताओं ने अखिलेश से विधायकी न छोड़ने का अनुरोध किया था। तब अखिलेश ने कहा था कि इस बारे में पार्टी फैसला लेगी।
समाजवादी पार्टी जहां अखिलेश के इस फैसले को उचित बता रही है और कह रही है कि इससे उत्तर के पार्टी विधायकों, नेताओं और कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ेगा। वही भाजपा नेताओं का कहना है कि वैसे तो यह सपा का अंदरुनी मामला है लेकिन सच यह है कि अखिलेश यादव को पता चल गया है कि 2024 में भी पार्टी का हश्र ऐसा ही होने वाला है। वह करहल से बड़ी मुश्किल से चुनाव लड़ना चाहते हैं और 2024 में सांसद का चुनाव नहीं लड़ना चाहते इसलिए अगले पांच साल उन्होंने विधानसभा में ही रहने का फैसला लिया।
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