सोमवार को अपने दूसरे ट्वीट में राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर ये हमला किया. आपको बता दें कि जब से केंद्र सरकार ने कृषि क्षेत्र में सुधारे के लिए अध्यादेश जारी किए हैं. तब से किसान इस फैसले के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. जुलाई महीने से ही किसानों में गुस्सा है. 10 सितंबर को हरियाणा के कुरुक्षेत्र में किसानों और पुलिस के बीच झड़प हुई, जिसके बाद लाठीचार्ज और पथराव हुआ. स्थिति ये हो गई कि हाइवे पर जाम लग गया. किसानों का कहना है कि नए अध्यादेश के चलते व्यापारी किसानों को फसल कम दाम पर बेचने के लिए मजबूर करेंगे.
इससे पहले इस मामले पर कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाल ने 12 सिंतबर को कहा था, “मोदी सरकार ने खेत-खलिहान-अनाज मंडियों पर तीन अध्यादेशों का क्रूर प्रहार किया है. ये ‘काले कानून’ देश में खेती व करोड़ों किसान-मज़दूर-आढ़ती को खत्म करने की साजिश के दस्तावेज हैं. खेती और किसानी को पूंजीपतियों के हाथ गिरवी रखने का यह सोचा-समझा षडयंत्र है. अब यह साफ है कि मोदी सरकार पूंजीपति मित्रों के जरिए ‘ईस्ट इंडिया कंपनी’ बना रही है. अन्नदाता किसान व मजदूर की मेहनत को मुट्ठीभर पूंजीपतियों की जंजीरों में जकड़ना चाहती है…
किसान को ‘लागत+50 प्रतिशत मुनाफा’ का सपना दिखा सत्ता में आए प्रधानमंत्री, श्री नरेंद्र मोदी ने तीन अध्यादेशों के माध्यम से खेती के खात्मे का पूरा उपन्यास ही लिख दिया. अन्नदाता किसान के वोट से जन्मी मोदी सरकार आज किसानों के लिए भस्मासुर साबित हुई है.