पीएसजी को 1-0 से हराकर बायर्न म्यूनिख ने ख़िताब किया अपने नाम

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कोरोना महामारी के कारण काफी समय तक बैन रहने वाली यूएफा चैंपियंस लीग 2019-20 सीजन की शुरुआत के 425 दिनों बाद फ़ाइनल मुकाबला खेला जा सका। जिसमें इस सीजन को बायर्न म्यूनिख ने किंग्सली कोमान (मिडफील्डर) के हेडर की बदौलत पेरिस सेंट जर्मेन (पीएसजी) को 1-0 से हराते हुए खिताब अपने नाम किया। जबकि दूसरी तरफ दुनिया के सबसे महंगे फुटबॉल क्लब कहे जाने वाले पीएसजी की तरफ से नेमार फ़ाइनल मैच में रंग में नहीं दिखे और उन्होंने दो बार गोल करने के मौके गंवाए।

इस तरह बायर्न की चैंपियन्स लीग में यह 2013 के बाद पहली खिताबी जीत है, जबकि पिछले नौ वर्षों में खिलाड़ियों पर एक अरब डॉलर से भी अधिक धनराशि करने के बावजूद पीएसजी को अब भी अपने पहले यूरोपीय कप का इंतजार है। पीएसजी ने नेमार, काइलिन मबापे और एंजेल डि मारिया पर 50 करोड़ डॉलर से भी अधिक धनराशि खर्च की है और उसकी टीम बायर्न के सामने मजबूत दिख रही है। ये तीनों महंगे खिलाड़ी अग्रिम पंक्ति में कोई जादू नहीं दिखा पाये।

दूसरी तरफ पेरिस में जन्में और पीएसजी से अपने करियर की शुरुआत करने वाले विंगर कोमैन ने अपनी इस पूर्व टीम को करारा झटका दिया। चौबीस वर्षीय कोमैन के आसपास तब पीएसजी का कोई रक्षक नहीं था लेकिन वह जोशुआ किमिच का क्रास लेने के लिये तैयार थे। कोमैन ने उसे हेडर से गोल में पहुंचाने में कोई गलती नहीं की। यह गोल आखिर में निर्णायक साबित हुआ। यह चैंपियन्स लीग में बायर्न म्यूनिख का 43वां गोल था। अपने इस अभियान में बायर्न पहली ऐसी टीम बनी जिसने चैंपियन्स लीग के अपने सभी 11 मैच जीते।

इसके साथ ही सत्र का समापन भी हो गया। कोरोना वायरस महामारी के कारण हालांकि इसमें तीन महीने की देरी हुई। बायर्न म्यूनिख के लिये यह सत्र शानदार रहा। उसने लगातार आठवीं बार बुंदेसलीगा ट्राफी जीती और जर्मन कप भी अपने नाम किया था। बायर्न सर्वाधिक बार चैंपियन्स लीग का खिताब जीतने के मामले में लिवरपूल के साथ संयुक्त तीसरे स्थान पर पहुंच गया है। अब रीयाल मैड्रिड (13) और एसी मिलान (सात) ही उससे आगे हैं।